भक्ति ज्ञान वैराग्य और त्याग इन सभी के संयोग का ही नाम है भागवत :- रोली त्रिवेदी
हरदोई (आरएनआई) टोडरपुर विकास खण्ड के पास ग्राम तारागाँव में चल रही श्रीमद्भागवत में छोटी काशी धाम से पधारीं सुप्रसिद्ध कथावाचिका परमपूज्या रोली त्रिवेदी जी ने तृतीय दिवस में कथा को सुनाते हुए कहा कि मन और वाणी को पवित्र करने के लिए भगवान का स्मरण करना चाहिए। मानव को मोक्ष प्राप्त करने के लिए धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। दूसरे दिन उन्होंने भागवत के महात्यम पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने भागवत कथा सुनने के नियम, शौनक सूत संवाद, सूत जी द्वारा छह प्रश्नों में संपूर्ण कथा का सार बताना, परीक्षित को गद्दी देकर पांडवों का वद्रिकाश्रम जाना, परीक्षित श्राप, शुकदेव का राजा परीक्षित को कथा सुनाने तक का प्रसंग सुनाया रोली जी ने कहा कि भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग इन सभी के संयोग का नाम ही भागवत है। राजा परीक्षित ने सुकदेव से प्रश्न किया कि मरने वाले जीव के कल्याण का साधन क्या है? तब सुकदेव ने श्रीमद्भागवत महापुराण का बखान किया। कहा कि हर प्राणी के लिए श्रीमद्भागवत कथा सर्वश्रेष्ठ है?। श्रृंगी ऋषि से श्रापित होने के बाद राजा परीक्षित को भागवत कथा के सुनने से ही मुक्ति मिली थी । यह कथा सुनने से प्राणी के सभी पापों का नाश होता है। कथा को सुनने के लिए आयोजक दिनेश वाजपेयी,विनय वाजपेयी सचिन कुशवाहा, दशरथ कुशवाहा, सूर्यप्रताप मिश्रा, विमल शास्त्री जी समेत में श्रद्धालु विराजमान रहें
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