इजराइल: न्यायिक सुधार विधेयक पर मतदान से पहले बेंजामिन नेतन्याहू का पेसमेकर प्रतिरोपण ऑपरेशन हुआ
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का रविवार को सफल पेसमेकर प्रतिरोपण ऑपरेशन हुआ। यह ऑपरेशन ऐसे समय में हुआ है, जब देश को पंगु बना देने वाले विवादास्पद ‘न्यायिक सुधार’ विधेयक पर संसद में अगले कुछ दिनों में मतदान होने वाला है।
यरूशलम, 23 जुलाई 2023, (आरएनआई)। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का रविवार को सफल पेसमेकर प्रतिरोपण ऑपरेशन हुआ। यह ऑपरेशन ऐसे समय में हुआ है, जब देश को पंगु बना देने वाले विवादास्पद ‘न्यायिक सुधार’ विधेयक पर संसद में अगले कुछ दिनों में मतदान होने वाला है।
पिछले सप्ताह नेतन्याहू (73) को गलील सागर की यात्रा के दौरान भीषण गर्मी में कई घंटे तक धूप में रहने के चलते चक्कर आने की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान उनकी हृदयगति पर एक उपकरण की मदद से नजर रखी गई।
नेतन्याहू का पेसमेकर प्रतिरोपण ऑपरेशन रविवार तड़के रामत गन स्थित ‘शेबा मेडिकल सेंटर’ में हुआ।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि ऑपरेशन सफल रहा और नेतन्याहू अच्छा महसूस कर रहे हैं तथा उन्हें रविवार को ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाने की उम्मीद है।
पेसमेकर हृदयगति को नियमित करने में मदद करता है।
अमेरिकी अस्पताल ‘मेयो क्लिनिक’ और ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के मुताबिक, पेसमेकर प्रतिरोपण की प्रक्रिया में आमतौर पर कई घंटे लगते हैं तथा ज्यादातर मामलों में मरीज को उसी दिन या अगले दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि नेतन्याहू के ऑपरेशन के दौरान उपप्रधानमंत्री एवं विधि मंत्री यारिव लेविन ने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली।
इससे पहले, नेतन्याहू ने बीती रात एक वीडियो के जरिए संक्षिप्त बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘‘एक सप्ताह पहले उन्होंने (चिकित्सकों ने) एक निगरानी उपकरण डाला था। इस उपकरण ने आज शाम संकेत दिया कि मुझे पेसमेकर की आवश्यकता है। मुझे यह प्रतिरोपण आज रात ही कराना होगा। मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं, लेकिन अपने चिकित्सकों की सलाह सुन रहा हूं।’’
नेतन्याहू का ऑपरेशन ऐसे समय में हुआ है, जब रविवार सुबह विधेयक पर संसद में बहस होनी है और सोमवार तथा मंगलवार को इसे दूसरी, तीसरी और अंतिम बार पढ़ा जाएगा।
इस विधेयक को लेकर देशभर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो उच्चतम न्यायालय से सरकारी फैसलों को ‘अनुचित’ घोषित करने की शक्ति छिन जाएगी। न्यायालय के पास मौजूदा शक्ति देश की सरकार को निरंकुश बनने से रोकने में मदद करती है। देश का संविधान लिखित नहीं है।
नेतन्याहू और उनके धुर दक्षिणपंथी सहयोगियों ने पदभार ग्रहण करने के कुछ दिन बाद जनवरी में इस योजना की घोषणा की थी। उनका दावा है कि अनिर्वाचित न्यायाधीशों को हासिल अत्यधिक शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए इसकी आवश्यकता है।
आलोचकों का आरोप है कि यह योजना देश में शक्ति संतुलन की व्यवस्था को बिगाड़ देगी और उसे निरंकुश शासन की ओर ले जाएगी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो. बाइडन ने भी नेतन्याहू से इस योजना को रोकने और व्यापक स्तर पर सहमति कायम करने का अनुरोध किया है।
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