बींदाखेड़ी में डली लाखों की डकैतियों ने इलाके की एकजुटता, पुलिस और राजनीति पर खड़े किए सवाल
बंदूकों सहित दर्जनभर लोगो ने डाली डकैती, एक्सपर्ट पुलिस कह रही है चोरी?
गुना। गुना जिले के धरनावदा थाना क्षेत्र के ग्राम बींदाखेड़ी में 14-15 जुलाई की दरमियानी रात को डकैतियों की बड़ी वारदात इस इलाके के निवासियों की एकजुटता, पुलिस की भूमिका और राजनीति पर सवालिया निशान लगा रही है। देश भर में चोरी, लूट, डकैती की संगीन वारदातों के लिए कुख्यात पारदी बदमाशों ने एक लंबे समय बाद इस इलाके में बड़ी डकैतियों को अंजाम देकर सनसनी फैला दी है।
पुलिस के रिकॉर्ड में ये डकैतियां न होकर अज्ञात चोर द्वारा की गई चोरी की सामान्य वारदात है। लेकिन हकीकत इससे जुदा है। वारदात की सभी कड़ियों को जोड़ने से पता चलता है कि इस वारदात को कम से कम 12 डकैतों ने अंजाम दिया। जिन पर बंदूकें भी थीं। ये सभी चार अलग अलग पॉवर बाईक पर सवार होकर आए थे। वारदात के तरीकों से साफ है कि इन्हें पारदी बदमाशों ने अंजाम दिया है।
जिला मुख्यालय से 29 km दूर स्थित ग्राम बींदाखेड़ी में 14-15 जुलाई की दरमियानी रात को 2 से 3 बजे के बीच ये डकैतियां पड़ी हैं। ग्रामीणों के मुताबिक वारदात वाली रात को डकैत सबसे पहले हरिओम किरार के घर में घुसे थे। यहीं से बदमाशों ने टॉर्च चुराई, लेकिन लघुशंका के लिए परिवार के किसी सदस्य के उठ जाने से उनके घर पर वारदात को अंजाम नहीं दे सके। इस परिवार के एक सदस्य के मुताबिक "रात 2 बजे कुछ आवाज जरूर आई थी, मैं बाहर निकल कर सड़क पर आगे तक गया भी लेकिन जब कुछ नही दिखा तो मैं वापस आ गया। सुबह पता चला की गांव में डकैती पड़ गई है।"
वारदात के दौरान बदमाशों ने देवेंद्र किरार के घर से नसैनी उठाई। बदमाश इसी नसैनी के सहारे विनोद किरार के एक मंजिला मकान की छत पर चढ़े और छत की सीढ़ियों से उतर कर उस कमरे में घुसे जिसके दरवाजे पर लक्ष्मी जी की तस्वीर चिपकी थी। डकैतों ने यहां कमरे में रखे लोहे के बॉक्स और अलमारी को खोल कर समान बिखेर दिया और बैग में रखे करीब चार किलो चांदी के आभूषण कीमती 3 लाख रूपये, सोने की 2 चैन, 2 अंगूठी और 2 हार कीमती करीब 5 लाख रूपये पर हाथ साफ कर दिया। खाली बैग सुबह घर के बाहर सड़क किनारे पड़ा मिला।
इसी नसैनी के सहारे उक्त डकैत विनोद के घर से तकरीबन दो सौ मीटर दूर स्थित विमल किरार के एक मंजिला मकान की छत पर चढ़कर जीने के रास्ते घर में घुसे और कमरे में रखी लोहे की अलमारी का दरवाजा तोड़ दिया। डकैत उस पेटी को उठा ले गए जिसमें 30 तौला सोने के आभूषण कीमती करीब 16 लाख रूपये, 3 किलो से अधिक वजनी चांदी के आभूषण कीमती करीब 2.5 लाख रुपए और 1 लाख रुपए नगद रखे थे। ये पेटी भी घर से थोड़ी दूर सड़क किनारे पड़ी मिली, जिसमें आभूषणों की खाली डिब्बियां और पर्स पड़े थे। विमल बताते हैं कि शादियों के चलते वह घर की महिलाओं की सोने चांदी की रकम गुना से गांव ले आए थे, अंदाजा ही नहीं था कि इस तरह डकैती पड़ जाएगी। इस दोनों बड़ी वारदातों में घर के कुछ सदस्य बरामदे में ही सोते रहे जिनकी नींद नहीं खुल सकी। जबकि उनके मुताबिक हम जरा सी आहट में ही उठ बैठते हैं। इससे लगता है कि उन्हें कुछ सुंघा दिया गया था।
ग्रामीणों के मुताबिक उक्त डकैत ख्यावदा की और जाने वाले सड़क मार्ग से भागे। जिसकी पुष्टि रात करीब तीन बजे खेतों में सब्जी काटने आए मजदूर और किसानों ने की। इन्होंने बताया कि चार बड़ी मोटर साइकिलों पर तीन तीन बदमाशों को बैठकर जाते हुए देखा था, जो किल्ली (चिल्लाते हुए) देते हुए तेजी से बाइक चलाकर भागे। ग्रामीणों के मुताबिक इन पर बंदूकें भी थीं।
यह वारदात इसलिए भी चर्चा में है कि इस बार निर्भीक मानी जाने वाली किसानी कौम किरार, डकैतों के निशाने पर आई है। किरारों को बड़ा हिम्मती माना जाता है। बींदाखेड़ी में जिस बिंदास अंदाज में इनके एक एक मंजिला और बड़े बड़े घर बने हैं उनमें से अधिकांश में सुरक्षा को लेकर कोई खास इंतजाम देखने नहीं मिले। मकान भी बड़े बड़े और कुछ मकान दूर दूर बने हैं। विमल, विनोद, देवेंद्र आदि ग्रामीण बताते हैं कि हमारे गांवों में इससे पहले कभी ऐसी वारदात नहीं हुई, यह पहली बार हुआ है जब किरारोँ के घरों में पारदियों ने डकैती डाली है। विमल के मुताबिक अभी भी रात करीब 12 से 1 बजे के बीच मोटर साइकिलों और उसके पीछे जीप से बदमाश लगातार इस इलाके में घूम रहे हैं, जिन पर बंदूकें भी हैं।
डकैती की यह वारदात कई सवाल खड़े कर रही है। सबसे बड़ा सवाल इलाके के लोगों की जागरूकता और एकजुटता को लेकर है। कारण कि धरनावदा थाना क्षेत्र में ही पारदी बदमाशों के गिनती के गांव स्थित हैं। पहले भी बमौरी इलाके में पारदियों ने बड़ी बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है। लेकिन पुलिस कभी पीड़ित को पूरा माल वापस दिलाकर राहत नहीं दिला पाई। वारदातों के बावजूद इस इलाके के लोग भी कभी एकजुट होकर पारदी गांवों या पुलिस पर दबाव नहीं बना पाए, यानी बदमाशों के सामने कमजोर पड़ गए।
दूसरी बात ये कि अपनी स्थापना के बाद से धरनावदा थाना कभी धरनावदा में लगा ही नहीं। इस थाने का संचालन एनएच 46 पर स्थित रूठियाई चौकी से होता है। जो दरोगाओं और स्टाफ के लिए गुना से अप डाउन करने के साथ साथ हर दृष्टि से मुफीद है। धरनावदा में आज भी थाने की जगह चौकी स्थापित है। इसी तरह झागर चौकी भी अभी तक अपग्रेड नहीं हुई है। इस थाने और चौकी में पोस्टिंग कराना बड़े लाभ का सौदा माना जाता है। इसके लिए अफसर और नेता दोनों के जैक की जरूरत पड़ती है। लेकिन कोई भी नेता या अफसर थाने को चौकी से थाने में न तो शिफ्ट करा पाया और न किसी को इस अव्यवस्था से कोई लेना देना।
इन दो चौकियों और थाने की रुचि पारदियों में देखने मिलेगी। लेकिन पारदी बदमाशों द्वारा की गई वारदातों में पुलिस की सफलता का प्रतिशत तलाशा जाए तो आंकड़े निराशा जनक ही मिलते हैं। यह बात अलग है कि यहां पोस्टेड होने के बाद पुलिस वालों का रसूख और दौलत तेज गति से बढ़ने लगती है। इलाके के ग्रामीण अब पारदी बदमाशों द्वारा की जाने वाली वारदातों को लेकर पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध बताते हैं। यहां पूर्व में पदस्थ रहे एक दो चर्चित दरोगा तो खुद ही पारदियों को संरक्षण देने और वारदात कराने को लेकर कुख्यात हुए हैं। चर्चा है कि कुछ फरार इनामी बदमाशों की आवाजाही बीलाखेड़ी से रूठियाई के बीच होती रहती है।
पुलिस पर सवाल काम के तरीके को लेकर भी उठते हैं। बींदाखेड़ी की इन डकैतियों को ही लें, जिन्हें पुलिस ने अपने रिकॉर्ड में डकैती के स्थान पर चोरी के रूप में दर्ज किया है। जबकि वारदात करने वालों की संख्या 5 या इससे अधिक हो तो चोरी ही डकैती का अपराध बन जाता है। जाहिर है कि पुलिस ने अपनी रैंकिंग ठीक रखने के लिए डकैती की इन वारदातों को चोरी के रूप में दर्ज किया, ताकि ये वारदातें हीनियस क्राइम की श्रेणी में न आएं और आईजी लेबल की मॉनिटरिंग से बचा जा सके।
सवाल इस क्षेत्र के राजनेताओं से भी है कि देश भर में अपराधों को लेकर कुख्यात पारदी बदमाशों पर अंकुश के लिए उन्होंने कभी कोई ठोस कार्यवाही क्यों नही कराई! तलाशी के लिए कोई व्यापक अभियान क्यों नही चलवाया कि आखिर इन बदमाशों पर राइफल, पिस्टल जैसे आधुनिक हथियार आते कहां से हैं। कभी कुख्यात बदमाशों के ठिकानों पर बुलडोजर क्यों नही चलवाए।
इसी तरह निजी पहचान और संबंधों से ऊपर उठकर क्षेत्र वासियों की सुरक्षा और हित को देखते हुए मालवा क्षेत्र के ईमानदार और तेज तर्रार दरोगाओं की पोस्टिंग क्यों नही कराई। यहां तैनात दरोगाओं और अफसरों से नियमित रूप से अपराधों के खुलासे के साथ साथ चोरी गए माल मशरूका की शत प्रतिशत रिकवरी की मॉनिटरिंग क्यों नही की।
जब तक पारदी मामलों में विशेष रुचि रखने वाले बदनामशुदा पुलिस वालों और दरोगाओं की धरनावदा, बमौरी, फतेहगढ़ में तैनाती होती रहेगी तब तक कोई चमत्कार की उम्मीद करना बेमानी है। हो सकता है बींदाखेडी डकैती मामले में दवाब बनने पर एक दो बदमाशों को पकड़ कर इन डकैतियों का खुलासा कर दिया जाए। लेकिन जब तक चोरी गए माल की सौ फीसदी रिकवरी या उक्त माल को नष्ट या खर्च किए जाने का विश्वसनीय ब्यौरा सामने नहीं आता, इसे नूराकुश्ती ही माना जाएगा।
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