बिहार : पुल मामले में निर्माण कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी, कार्यपालक अभियंता निलंबित
बिहार सरकार ने दो दिन पहले हुई एक पुल ढहने की घटना को लेकर इसकी निर्माण कंपनी को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया है और संबंधित कार्यपालक अभियंता को निलंबित कर दिया गया है।
पटना, 6 जून 2023, (आरएनआई)। बिहार सरकार ने दो दिन पहले हुई एक पुल ढहने की घटना को लेकर इसकी निर्माण कंपनी को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया है और संबंधित कार्यपालक अभियंता को निलंबित कर दिया गया है।
सड़क निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया, ”हरियाणा की जिस कंपनी को ठेका दिया गया था, उसे बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक ने कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है।”
उनके मुताबिक, कंपनी से पूछा गया है कि उसे सरकार द्वारा काली सूची में क्यों नहीं डाला जाना चाहिए और उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए?
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया, ‘कार्य की गुणवत्ता पर नज़र रखने में विफलता के लिए विभाग ने संबंधित कार्यकारी अभियंता को भी निलंबित कर दिया है।’
भागलपुर और खगड़िया जिलों को जोड़ने के लिए गंगा नदी पर 1,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाए जा रहे इस पुल का एक हिस्सा रविवार को ध्वस्त हो गया था। करीब एक साल पहले भी पुल का एक हिस्सा ध्वस्त हुआ था।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुल की आधारशिला फरवरी 2014 में रखी थी और इसका निर्माण 2019 तक पूरा किया जाना था।
पुल का एक हिस्सा ध्वस्त होने के बाद मुख्यमंत्री ने सोमवार को काम की खराब गुणवत्ता और पूरा होने में देरी को लेकर कड़ी नाराजगी जताई थी।
घटना के बाद, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रविवार को कहा था कि राज्य सरकार संरचनात्मक खामियों के कारण निर्माणाधीन पुल को गिराने की योजना बना रही है। यादव के पास सड़क निर्माण विभाग का प्रभार भी है।
उन्होंने कहा ‘‘ पिछले साल 30 अप्रैल को इस पुल का एक हिस्सा ढह गया था। तब हमने एक अध्ययन करने के लिए, निर्माण मामलों में विशेषज्ञता के लिए प्रख्यात आईआईटी-रुड़की से संपर्क किया। इसकी अंतिम रिपोर्ट आनी बाकी है, लेकिन संरचना का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों ने बताया था कि इसमें गंभीर खामियां हैं।’
इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही भाजपा पर पलटवार करते हुए तेजस्वी ने कहा ‘‘पिछले साल, इस पुल का एक हिस्सा आंधी में बह गया था। तब राज्य में भाजपा सत्ता में थी। इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा हुई थी और मैंने विपक्ष के तत्कालीन नेता के तौर पर इसे मजबूती से उठाया था। सत्ता में आने पर, हमने एक जांच का आदेश दिया और विशेषज्ञों की राय मांगी।’’
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