बिहार के भगैया सिल्क से बनी टाई का देश-विदेश में खूब हो रहा निर्यात

(उमेश कुमार विप्लवी)

Jan 2, 2025 - 15:21
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बिहार के भगैया सिल्क से बनी टाई का देश-विदेश में खूब हो रहा निर्यात

पटना (आरएनआई) बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड पटना  द्वारा खादी उत्पादों को विश्वभर में पहचान दिलाने और स्थानीय उद्यमियों को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म देने के लिए खादी उत्पादों के डिज़ाइन में नवाचार किया जा रहा है। जिसके तहत,बोर्ड द्वारा भगैया सिल्क से बनी टाई को एक अनूठा रूप देकर इसे बिहार खादी की प्रमाणित संस्था  *गणेश पीस फाउंडेशन*  के माध्यम से देश-विदेश में निर्यात किया जा रहा है।

खादी बोर्ड के डिज़ाइनर सुभाष कुमार और विशाल कुमार ने पारंपरिक टाई को बिहार की समृद्ध कलाकृतियों से जोड़ते हुए इसे एक अनूठे डिज़ाइन में ढाला है। टाई पर पारंपरिक मधुबनी, मंजूषा और कोहबर पेंटिंग्स को मॉडर्न टच के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिसे विदेशों में खूब सराहा जा रहा है। 

*गणेश पीस फाउंडेशन, **बरियारपुर, मुंगेर* स्थित बिहार खादी की प्रमाणित संस्था जो तसर सिल्क के उत्पादों में विशेष दक्षता रखते हैं। इस संस्था के अनतर्गत कई कुशल कारीगर काम करते है, जिनमें ज़्यादातर संख्या में महिलाएँ काम करती है। 

*भगैया सिल्क का उत्पादन*
सिल्क के कपड़े बनाने का काम बिहार में मुख्य रूप से भागलपुर व बांका में होता है। हालांकि, कोकून का उत्पादन कुछ अन्य जिलों में भी होता है। भगैया की सिल्क की सप्लाई बिहार के निकटवर्ती जिले भागलपुर में खूब होती है। वहां इसे भागलपुरी सिल्क के नाम से जाना जाता है।

*विशेषता और लोकप्रियता*
* ये टाई भगैया सिल्क से बनी हैं, जो पहले से ही शॉल, साड़ी, कुर्ती और दुपट्टा जैसे उत्पादों में अपनी गुणवत्ता और मांग के लिए प्रसिद्ध है।
* टाई पर पारंपरिक मधुबनी, सोहराय, मंजूषा और कोहबर पेंटिंग्स के साथ मॉडर्न टच दिया गया है।
* संस्था द्वारा 90 महिलाओं को टाई निर्माण और पेंटिंग का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे उन्हें स्वरोजगार के अवसर मिल रहे हैं। 

*अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती मांग*
इन टाई की खूबसूरती और विशिष्ट डिज़ाइन ने न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी लोकप्रियता हासिल की है। इन्हें गणेश पीस फाउंडेशन के माध्यम से निर्यात किया जा रहा है, जिससे भगैया सिल्क की वैश्विक पहचान और भी सुदृढ़ हो रही है।

आर्थिक लाभ और भविष्य की संभावनाएँ
उत्पादों के डिज़ाइन और उपयोगिता में किए गए नवाचारों से न केवल सिल्क उद्योग को, बल्कि राज्य की कला, संस्कृति, कारीगरों और उद्यमियों को भी आर्थिक लाभ हो रहा है। साथ ही, भगैया सिल्क और मधुबनी पेंटिंग को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाने की दिशा में कई सकारात्मक प्रयासों में से एक प्रयास है।


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