बिहार के पूर्व मंत्री की हत्या मामले में पूर्व विधायक को झटका, आत्मसमर्पण के लिए समय देने से इनकार

पूर्व विधायक की ओर से वकील विकास सिंह ने पीठ से अनुरोध किया था कि उनकी पत्नी के स्वास्थ्य और मामलों के प्रबंधन के लिए एक महीने यानी 30 दिन का समय चाहिए। 

Oct 16, 2024 - 14:14
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बिहार के पूर्व मंत्री की हत्या मामले में पूर्व विधायक को झटका, आत्मसमर्पण के लिए समय देने से इनकार

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की 1998 में हुई हत्या के मामले में पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला समेत दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस पर शुक्ला ने आत्मसमर्पण करने के लिए समय मांगने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे बुधवार को अदालत ने खारिज कर दिया। 

पूर्व विधायक की ओर से वकील विकास सिंह ने जस्टिस संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर महादेवन की पीठ से अनुरोध किया था कि उनकी पत्नी के स्वास्थ्य और मामलों के प्रबंधन के लिए एक महीने यानी 30 दिन का समय चाहिए। हालांकि, याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि तीन अक्तूबर के आदेश में शुक्ला को 15 दिन का पर्याप्त समय दिया गया है और इसलिए अब और समय नहीं दिया जा सकता।

तीन अक्तूबर को शीर्ष अदालत ने दोषियों मंटू तिवारी और पूर्व विधायक शुक्ला को 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत छह अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार उन्हें बरी करने के फैसले को बरकरार रखा था। पीठ ने कहा था कि मंटू और विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप साबित होते। उन्हें 15 दिनों के अंदर आत्मसमर्पण करना होगा।

इससे पहले 24 जुलाई 2014 को हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष के सबूतों और गवाहों को मद्देनजर रखते हुए सूरजभान सिंह उर्फ सूरज सिंह, मुकेश सिंह, लल्लन सिंह, मंटू तिवारी, कैप्टन सुनील सिंह, राम निरंजन चौधरी, शशि कुमार राय, मुन्ना शुक्ला और राजन तिवारी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने निचली अदालत के 12 अगस्त 2009 के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था और सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद और बृज बिहार प्रसाद की पत्नी रमा देवी, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती दी थी। उन्होंने कोर्ट के 2014 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

उच्चतम न्यायालय ने 1998 में हुई बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला सहित दो आरोपियों को दोषी ठहराया है। इसके साथ ही कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला सहित दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने मामले में पटना हाईकोर्ट के आदेश को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया। कोर्ट ने दोषियों मंटू तिवारी तथा पूर्व विधायक शुक्ला को 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और अन्य को संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी करने के फैसले को बरकरार रखा।

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के कोलेजियम ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए केंद्र को तीन अधिवक्ताओं के नाम की सिफारिश भेजी है।

तीन सदस्यीय कोलेजियम में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई भी शामिल थे। कोलेजियम ने मंगलवार को बैठक की और केरल उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए चार वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों के नामों की सिफारिश करने का फैसला किया।

इसने एक अलग प्रस्ताव के माध्यम से केंद्र को कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति सिद्धैया रचैया को उसी उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की। 15 अक्तूबर के प्रस्ताव में कहा गया, ‘कोलेजियम यह सिफारिश करने का संकल्प लेता है कि अधिवक्ताओं श्री (i) महेश्वर राव कुंचम उर्फ कुंचम, (ii) थूता चंद्र धन सेकर उर्फ टी. सी. डी. शेखर और (iii) चल्ला गुणरंजन को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए। उनकी वरिष्ठता मौजूदा प्रथा के अनुसार तय की जाए।’

ये सभी आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के तौर पर कार्यरत हैं। 15 मई, 2024 को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने दो वरिष्ठ न्यायाधीशों के परामर्श से न्यायाधीश पद के लिए उनके नामों की सिफारिश की थी।

15 अक्तूबर को सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक अलग प्रस्ताव में कोलेजियम ने कहा, ‘कोलेजियम यह सिफारिश करने का संकल्प लेता है कि न्यायिक अधिकारी श्री (i) के. वी. जयकुमार, (ii) मुरली कृष्ण एस., (iii) जोबिन सेबेस्टियन और (iv) पी. वी. बालकृष्णन को केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए।

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