बिहार के नक्शेकदम पर ओडिशा की पटनायक सरकार
जाति आधारित गणना के संबंध में एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सरकार को सौंप दी गई है। अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले इसका जारी होना काफी अहम माना जा रहा है।
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भुवनेश्वर, (आरएनआई) बिहार सरकार ने गांधी जयती के मौके पर जाति आधारित गणना के आंकड़ों को जारी किया था। उसी के बाद से ही कई लोगों ने और भी राज्यों को इसे अपनाने की सलाह दे दी थी। अब इस बीच खबर आ रही है कि बिहार के बाद उड़ीसा की बीजू जनता दल की सरकार भी पिछड़े वर्गों को लेकर सर्वे रिपोर्ट जारी करने की तैयारी कर रही है।
इस संबंध में एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सरकार को सौंप दी गई है। अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले इसका जारी होना काफी अहम माना जा रहा है।
ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग यानी ओएससीबीसी ने इस साल मई और जुलाई के बीच एक सर्वे किया था। इसने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। सूत्रों का कहना है कि राज्य की 4.7 करोड़ आबादी में से 42 फीसदी 208 पिछड़े वर्गों से संबंधित हैं। एक अधिकारी का कहना है कि राज्य सरकार जल्द ही इस रिपोर्ट को प्रकाशित कर सकती है।
बीजद के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री देवी प्रसाद मिश्रा ने मंगलवार को कहा कि क्षेत्र के विशेषज्ञ आंकड़ों की जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी को फायदा पहुंचाने और उनकी सही गणना को लेकर स्पष्ट हैं। आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है।
ओएससीबीसी ने एक मई से 10 जुलाई तक पिछड़े वर्गों की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति पर सर्वे किया था। शुरुआत में, पिछड़े वर्गों के लोगों को 10 मई तक स्वेच्छा से अपने व्यवसाय और शिक्षा की जानकारी देने के लिए कहा गया था। इसके बाद, घर-घर जाकर जनगणना की गई और आपत्तियां आमंत्रित करके आंकड़ों का सत्यापन किया गया।
विपक्षी कांग्रेस ने सर्वे कराने में देरी को लेकर सरकार पर निशाना साधा, तो वहीं भाजपा ने सर्वे के तरीके पर सवाल उठाए। भाजपा विधायक नौरी नायक ने कहा कि सरकार ने पूरी लगन से सर्वे नहीं कराया है। उन्होंने कहा, 'अगर वे ठीक से घर-घर गए होते, तो सही आंकड़े सामने आते। यह कवायद काफी हद तक स्वैच्छिक थी, जिसमें लोगों को पहचान के लिए दस्तावेजों के साथ सर्वेक्षण केंद्रों पर जाना था। इसके चलते कई लोग इससे छूट गए।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक नरसिंह मिश्रा ने कहा कि न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार ओबीसी का विकास चाहती है। वे ओबीसी विरोधी हैं। इसलिए सर्वे कराने में देर की।
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