बांग्लादेश की प्रत्यर्पण अपील से कैसे बच सकती हैं शेख हसीना? पूर्व राजदूत ने बताया आसान रास्ता
सचदेवा ने कहा कि 'आपको याद होगा कि यूरोप से भारत में आतंकवादियों के प्रत्यर्पण की मांग की गई थी, लेकिन प्रत्यर्पण को इसलिए रोक दिया गया क्योंकि भारतीय न्यायिक प्रणाली और भारतीय जेलों को यूरोप के मानकों के अनुरूप नहीं माना गया था।
नई दिल्ली (आरएनआई) बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व पीएम शेख हसीना के प्रत्यर्पण की भारत सरकार से मांग की है। इसे लेकर बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त रहे महेश सचदेवा ने बताया कि बांग्लादेश सरकार की अपील के बावजूद शेख हसीना का प्रत्यर्पण रुक सकता है और इसके लिए बांग्लादेश की पूर्व पीएम को सिर्फ अदालत में अपील करनी होगी। न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ साक्षात्कार में महेश सचदेवा ने कहा कि जिस तरह से कई यूरोपीय देशों ने विभिन्न शर्तों के आधार पर भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को खारिज किया है, उसी तरह अगर शेख हसीना अदालत का रुख करती हैं तो भारत भी विभिन्न कारणों का हवाला देकर प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है।
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है और इसी संधि के आधार पर बांग्लादेश की सरकार शेख हसीना को उन्हें सौंपने की मांग कर रही है। महेश सचदेवा ने कहा कि 'भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि में कई शर्तें हैं जो राजनीतिक मुद्दों के मामले में प्रत्यर्पण को खारिज करती हैं। इसलिए ये शर्तें मौजूद हैं और इन शर्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना प्रत्यर्पण अनुरोध के खिलाफ अदालत जा सकती हैं और कह सकती हैं कि उनके साथ गलत व्यवहार किए जाने की संभावना है। भारत ये भी कह सकता है कि हमें यकीन नहीं है कि उनके (शेख हसीना) साथ न्याय प्रणाली द्वारा उचित व्यवहार किया जाएगा या नहीं।
सचदेवा ने कहा कि 'आपको याद होगा कि यूरोप से भारत में आतंकवादियों के प्रत्यर्पण की मांग की गई थी, लेकिन प्रत्यर्पण को इसलिए रोक दिया गया क्योंकि भारतीय न्यायिक प्रणाली और भारतीय जेलों को यूरोप के मानकों के अनुरूप नहीं माना गया था। भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या ने भी अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ भी इन तर्कों का ही इस्तेमाल किया है।' भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि पर 2013 में हस्ताक्षर किए गए थे और 2016 में इसमें संशोधन किया गया था। इस प्रत्यर्पण संधि का उद्देश्य दोनों देशों की साझा सीमाओं पर उग्रवाद और आतंकवाद के मुद्दे से निपटना था। हालांकि, भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि में प्रत्यर्पण से इनकार की शर्त भी है, जिसके अनुसार, अगर अपराध राजनीतिक प्रकृति का है, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है।'
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरफ से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग फिर से की गई है। बांग्लादेश की तरफ से भारत को एक नोट भेजा गया है जिसमें कहा गया है कि न्याय का सामना करने के लिए उन्हें बांग्लादेश में भेजा जाना चाहिए। हालांकि इस नोट में ये नहीं बताया गया है कि क्या आरोप हैं। महेश सचदेवा ने ये भी कहा कि शेख हसीना के भारत में रहने से द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा और बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना मजबूत हो सकती है।
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