बस्ती उजड़ने के बाद थम नहीं रहे आदिवासी महिलाओं के आंसू
पीड़ित परिवारों ने वन विभाग को चेतावनी दी है कि अगर दोबारा इस तरह की कार्रवाई हुई तो जंगल की जमीन पर काबिज सहरिया परिवार अपनी बाजुओं से जवाब देगा।
गुना (आरएनआई) गुना में बमौरी ब्लॉक के नोनेरा गांव में 45 से ज्यादा सहरिया परिवारों के कच्चे मकान वन विभाग की टीम ने दो दिन पहले नष्ट कर दिए। इस घटना के विरोध में आक्रोशित लोगों ने सोमवार को जिला मुख्यालय पर मौन जुलूस निकालकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन दिया है। पीड़ित परिवारों ने वन विभाग को चेतावनी दी है कि अगर दोबारा इस तरह की कार्रवाई हुई तो जंगल की जमीन पर काबिज सहरिया परिवार अपनी बाजुओं से जवाब देगा।
नोनेरा गांव के पास जंगल की जमीन पर लगभग आधा सैकड़ा परिवार साल 2004 से झोपड़ी बनाकर निवास कर रहे हैं, जिन्हें वन विभाग की ओर से नोटिस दिया जा चुका है। इसके बाद वन विभाग की टीम साल 2004 से अब तक तीन बार इन सहरिया परिवारों को बेदखल करने के उद्देश्य से उनके टपरे तोड़ देती है या फिर उन्हें आग के हवाले कर देती है। 27 जनवरी को भी वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी दल-बल और जेसीबी जैसी भारी भरकम मशीनों के साथ यहां पहुंचे थे और 45 टपरों में अधिकांश को जेसीबी से तोड़ दिया गया।
चार से पांच टपरों में आग लगा दी। ग्रामीणों का दावा है कि जिस तरह वन विभाग की टीम ने कार्रवाई की वह ग्राम सभा की बैठक में गए थे। इसलिए एकजुट होकर कार्रवाई का विरोध नहीं कर पाए। वन विभाग की कार्रवाई के दौरान कुछ महिलाएं ही घरों में मौजूद थीं, जिन्होंने बाहर भागकर किसी तरह स्वयं को सुरक्षित किया।
अमानवीय और अवैधानिक बताते हुए सहरिया परिवारों ने एकता परिषद के नेतृत्व में जिला मुख्यालय पर रैली निकाली। इसके बाद कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपते हुए जंगल की जमीन पर अपनी मालिकाना हक जताया है और पट्टे दिलवाने की मांग की है। पीड़ित परिवारों ने साफ कर दिया है कि उनके कच्चे मकान और टपरे ही उनकी सम्पत्ति है। इसलिए दोबारा वन विभाग की टीम ने कार्रवाई की तो वह अपना सब कुछ बचाने के लिए अब बाजुओं से भी लड़ेंगे। प्रशासन को अपनी आप बीती सुनाने आईं सहरिया परिवारों की कई महिलाओं की आंखों से आंसू छलक उठे।
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