बमोरी में जनजातीय समुदाय के बीच पहुंचे सिंधिया
बोला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बिरसा मुंडा का सम्मान किया
बमोरी [गुना] (आरएनआई) गुना से भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जनता के साथ अपने अटूट रिश्ते और संवेदनशीलता के लिए जाने जाते हैं। आज उन्होंने बमोरी में एकबार फिर सिद्ध कर दिया की क्षेत्र में उनका वर्चस्व हर समुदाय के साथ स्थापित है। भाजपा जिला मिडिया प्रभारी विकास जैन नखराली ने बताया की केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दोपहर में बमोरी विधानसभा के बमोरी कलान में जन जाति सम्मेलन में सम्मिलित हुए और उन्होंने बमोरी में आयोजित जनजातीय समुदाय चौपाल में पहुंचे और वहां समुदाय के सदस्यों से घंटो तक बातचीत की। अपनी बातचीत में सिंधिया ने बोला कि, “पृथ्वी के सबसे बड़े संरक्षक आदिवासी भाई बहन है जिन्होंने सदियों से इस धरती की रक्षा की है। जल, जंगल, जमीन के असली किलेदार आप सब ही हैं और इसीलिए हर भारतवासी को आपको नमन करना चाहिए।”
आगे बात करते हुए उन्होंने सिंधिया परिवार और आदिवासी समुदाय के रिश्ते के बारे में बताया और अपने पूर्वज को याद किया, उन्होंने बोला की “जैसे आज मैं आप सब के बीच चौपाल करने आया हूँ ऐसे ही मेरे पूर्वज माधो महाराज आदिवासी समाज के साथ चौपाल किया करते थे। 1937-38 में श्योपुर जिले में आदिवासियों के बच्चों के लिए 13 स्कूल और तीन निःशुल्क छात्रावास बनाए गए थे। आपके समाज के बच्चों को शिल्पकला का प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई थी जो रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोगी हो।”
वर्तमान समय में आदिवासी समुदाय के विकास के बारे में बात करते हुए उन्होंने कांग्रेस पर जम कर हमला किया। उन्होने कहा की “कांग्रेस सिर्फ अपने नेताओं के नाम पर जयंती मनाती है। नरेंद्र मोदी जी देश के पहले प्रधानमंत्री है जिन्होंने भगवान बिरसा मुंडा को सम्मान देते हुए उनकी जयंती मनाई और रानी दुर्गावती की 500 वीं जयंती पुरे देश में मनाई। केंद्र सरकार ने 12 हज़ार गाँवो में आदिवासी भाई बहनों के विकास के लिए रु 25 हज़ार करोड़ की प्रधनमंत्री जनमन योजना शुरू की है।”
इसी के साथ चौपाल के बाद मंत्री सिंधिया आदिवासी समुदाय की महिला, जानकी सहरिया जिन्हे हाल में ही प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर मिला है, उनके घर गए और भोजन किया। भोजन में उन्होंने दाल - बाटी का जम कर स्वाद लिया। आज सिंधिया के पहनावे में एक और ख़ास बात थी, उन्होंने आदिवासियों के क्रांति शब्द “हुल जोहार” प्रिंट का गमछा भी पहना था।
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