बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न केस में हाईकोर्ट सख्त, कहा- बच्चियां बहुत छोटी, जल्द पूरी हो सुनवाई
पिछले साल अगस्त में ठाणे के बदलापुर इलाके में स्थित एक स्कूल के शौचालय में चार और पांच साल की दो लड़कियों का एक पुरुष अटेंडेंट ने यौन उत्पीड़न किया था। अब इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है।
मुंबई (आरएनआई) बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले में एक बार फिर सख्ती दिखाई। अदालत ने कहा कि पीड़ित बच्चियां बहुत छोटी हैं इसलिए मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए।
पिछले साल अगस्त में ठाणे के बदलापुर इलाके में स्थित एक स्कूल के शौचालय में चार और पांच साल की दो लड़कियों का एक पुरुष अटेंडेंट ने यौन उत्पीड़न किया था। मामला सामने आते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। अदालत ले जाते समय पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई और वह मारा गया। मामले की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित विशेष जांच (एसआईटी) आरोप पत्र दायर कर चुकी है।
यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करने में नाकाम रहने के लिए स्कूल के प्रधानाध्यापक और उसके प्रबंधन के दो सदस्यों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया है। हाईकोर्ट ने घटना का खुद संज्ञान तब लिया था, जब यह बात सामने आई कि बदलापुर की स्थानीय पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की।
सोमवार को लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर ने न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की पीठ को सूचित किया कि मामले की जांच पूरी हो गई है। आरोप पत्र दायर किया गया है और अब मामले की सुनवाई होगी। इस पर अदालत ने जोर दिया कि मामले की सुनवाई तेजी से पूरी करने की जरूरत है।
पीठ ने कहा, 'मामले को तेजी से आगे बढ़ाना होगा क्योंकि पीड़ित बच्चियां बहुत कम उम्र की हैं। साथ ही पॉक्सो कानून के तहत लड़कियों से पूछताछ के दौरान एक महिला अभियोजक को मौजूद रहना होगा।'
वेनेगांवकर ने कहा कि इस मामले में विशेष लोक अभियोजक की सहायता के लिए एक महिला अभियोजक नियुक्त की गई है। वहीं, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 जनवरी की तारीख तय की और तब तक अभियोजन पक्ष को मुकदमे की स्थिति के बारे में बताना होगा।
पिछले साल, पीठ ने स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का भी आदेश दिया था। वेनेगांवकर ने सोमवार को कहा कि समिति ने अभी सिफारिशों पर अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि अगर सुनवाई की अगली तारीख तक रिपोर्ट सौंप दी जाती है, तो उसे उसके समक्ष भी पेश किया जाएगा।
वेनेगांवकर ने अदालत को यह भी बताया कि महाराष्ट्र सरकार की नीति के अनुसार लड़कियों की शिक्षा आठवीं कक्षा तक मुफ्त होगी। उन्होंने कहा, 'पीड़ित लड़कियों की नौवीं और 10वीं कक्षा में भी मुफ्त शिक्षा देने का प्रस्ताव किया गया है।'
हाईकोर्ट 20 जनवरी को मृतक आरोपी के पिता द्वारा दायर याचिका पर भी सुनवाई करेगा, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनके बेटे को पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था।
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