'बढ़ते एकाधिकार का अस्थिर आर्थिक वृद्धि और बेरोजगारी संकट से सीधा संबंध', कांग्रेस का केंद्र पर हमला
कांग्रेस के प्रभारी संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि आप क्रोनोलॉजी समझिए। साल 2022 की सितंबर में मोदानी ने अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी का अधिग्रहण किया, जिससे वह देश की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी बन गई।
नई दिल्ली (आरएनआई) कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया कि अदाणी समूह सहित पांच बड़े समूहों का बढ़ता एकाधिकार भारत की अस्थिर आर्थिक वृद्धि, बेरोजगारी संकट और महंगाई के लिए जिम्मेदार है। कांग्रेस ने कहा कि कंपनियों का विस्तार करना चाहिए, लेकिन सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि अल्पाधिकार या एकाधिकार न पैदा हो।
विपक्ष का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अदाणी समूह की अंबुजा सीमेंट ने सेक्टर में अपने दबदबे को बढ़ाते हुए ओरिएंट सीमेंट के अधिग्रहण का एलान किया है। अंबुजा सीमेंट इस अधिग्रहण के लिए 8100 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। कंपनी अपने पास उपलब्ध फंड के जरिए इस खरीदारी को पूरा करेगी। इस अधिग्रहण के बाद अडानी सीमेंट का कुल ऑपरेशनल कैपेसिटी सालाना 97.4 एमटीपीए टन हो जाएगा और मार्च 2025 तक कंपनी अपने उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 100 मिलियन करने जा रही है।
कांग्रेस के प्रभारी संचार महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, 'आप क्रोनोलॉजी समझिए। साल 2022 की सितंबर में मोदानी ने अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी का अधिग्रहण किया, जिससे वह देश की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी बन गई। इसके बाद पिछले साल अगस्त में अदाणी ने भारत की एक ही स्थान पर सबसे बड़ी सीमेंट इकाई सांघी इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण किया।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं इस साल की जून में अदाणी ने पेन्ना सीमेंट्स का अधिग्रहण किया, जिससे उसे दक्षिण भारत के अंतिम बचे क्षेत्र में भी पर्याप्त बाजार हिस्सेदारी मिल गई। वहीं, अक्तूबर में इसने अतिरिक्त दो फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल करते हुए ओरिएंट सीमेंट का अधिग्रहण किया।
उन्होंने आगे कहा कि अदाणी सौराष्ट्र सीमेंट, वदराज सीमेंट और जयप्रकाश एसोसिएट्स के सीमेंट व्यवसाय के अधिग्रहण की संभावना तलाश रहे हैं। जैसा कि आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर और प्रसिद्ध वित्तीय अर्थशास्त्री डॉ. विरल आचार्य ने साबित किया था कि पांच बड़े समूह - जिनमें अदाणी समूह भी शामिल है- सीमेंट सहित 40 क्षेत्रों में एकाधिकार बना रहे हैं।
रमेश ने कहा कि यह बढ़ता एकाधिकार भारत की अस्थिर आर्थिक वृद्धि, बेरोजगारी संकट और उच्च मुद्रास्फीति से जुड़ा हुआ है। 2015 में, जब एक आम आदमी सामान पर 100 रुपये खर्च करता था, तो 18 रुपये व्यवसाय के मालिक को लाभ के रूप में जाता था- 2021 में मालिक को लाभ के रूप में 36 रुपये मिलने लगा।
उन्होंने कहा, 'फर्मों को आगे बढ़ना चाहिए। कंपनियों को विस्तार भी करना चाहिए। लेकिन साथ ही साथ, यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि प्रतिस्पर्धा को दबाया न जाए, अल्पाधिकार या एकाधिकार उभर कर सामने न आए, अधिग्रहण स्वतंत्र और निष्पक्ष हों और राजनीतिक सत्ता तक पहुंच से उत्पन्न होने वाले अनुचित लाभ का इस्तेमाल न किया जाए।
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