बड़ा बदलाव करने जा रही झारखंड मुक्ति मोर्चा! अब सीएम हेमंत सोरेन के हाथ में होगी पार्टी की कमान
झारखंड के प्रमुख राजनीतिक दल झामुमो (JMM) का 13 वां महाधिवेशन आज (सोमवार) से शुरू हुआ। राज्य की प्रमुख सत्ताधारी पार्टी का ये दो दिवसीय महाधिवेशन बेहद खास होने जा रहा है। पहली बार महाधिवेशन में केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में पार्टी के सुप्रीमो शिबू सोरेन के बजाय राज्य के मुख्यमंत्री और वर्तमान में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के हाथों में JMM की कमान सौपने की तैयारी है।

झारखंड (आरएनआई) झारखंड के प्रमुख राजनीतिक दल झामुमो (JMM) का 13 वां महाधिवेशन आज (सोमवार) से शुरू हुआ। राज्य की प्रमुख सत्ताधारी पार्टी का ये दो दिवसीय महाधिवेशन बेहद खास होने जा रहा है। पहली बार महाधिवेशन में केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में पार्टी के सुप्रीमो दिशोम गुरु शिबू सोरेन के बजाय राज्य के मुख्यमंत्री और वर्तमान में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के हाथों में JMM की कमान सौपने की तैयारी है। जिसके बाद पार्टी की कमान सीएम सोरेन के हाथों में होगी।
शिबू सोरेन के अस्वस्थ होने के कारण, महाधिवेशन में पार्टी हेमंत सोरेन को केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में प्रस्तावित कर उनके नाम पर महाधिवेशन के दूसरे दिन यानी 15 अप्रैल को मुहर लगाने जा रही है। इसके साथ ही गांडेय की विधायक और सीएम सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को भी पार्टी बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है। खबर है कि उन्हें पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद सौंपा जा सकता है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई शीर्ष नेताओं ने भी माना है कि जिस प्रकार से कल्पना सोरेन ने मुश्किल परिस्थितियों में पार्टी संगठन और सरकार को मजबूती देते हुए खुद को साबित किया है, घर की दहलीज को लांघते उन्होंने जिस तरह झारखंड की एक-एक जनता से खुद को कनेक्ट किया है, ऐसे में स्वाभाविक तौर पर उनके नेतृत्व क्षमता को देखते हुए पार्टी 13वें महाधिवेशन के दूसरे दिन (मंगलवार) उन्हें पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण दायित्व सौंप सकती है।
हर 3 साल पर होने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महाधिवेशन में अब तक, दिशोम गुरु शिबू सोरेन लगातार 10 बार से लगातार पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं। यह पहला अवसर होगा जब JMM के 13वें महाधिवेशन में केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में शिबू सोरेन के बजाय उनके बेटे और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्रीय अध्यक्ष चुने जाएंगे। वहीं बताया जा सकता है कि शिबू सोरेन को पार्टी का संरक्षक और मार्गदर्शक बनाया जा सकता है। पार्टी के संविधान में संशोधन कर उन्हें संस्थापक संरक्षक का पद दिए जाने की संभावना है।
आज से शुरू हुए JMM केंद्रीय महाधिवेशन के दौरान खराब स्वास्थ्य की वजह से शिबू सोरेन और उनकी पत्नी रूपी सोरेन को खुद हेमंत सोरेन अपने साथ व्हील चेयर पर लेकर कार्यक्रम में पहुंचे थे। राजधानी रांची के खेलगांव स्थित हरिवंश टाना भगत इंडोर स्टेडियम में पार्टी के दो दिवसीय महाधिवेशन का आयोजन किया जा रहा है। महाधिवेशन के पहले दिन कुल 16 राजनीतिक प्रस्ताव और चर्चा हुई, जिसमें JMM को आने वाले दिनों में राष्ट्रीय पार्टी बनाने के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक समन्वय एवं संपर्क कार्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव लाया गया।
इसके साथ ही पड़ोसी राज्य बिहार के जमुई ,भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, बांका जिले में संगठन को सक्रिय करते हुए आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाने का भी प्रस्ताव लाया गया। वहीं असम राज्य के उदलगिरी, कोकराझार, डिब्रूगढ़ जिले में बड़ी संख्या में झारखंड के प्रवासी रहते हैं, जो वहां के चाय बागानों और अन्य व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। उन्हें एक जुट कर राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें आदिवासी की पहचान दिलाने के अधिकार को मजबूती प्रदान करने एवं विधानसभा चुनाव में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करने का प्रस्ताव भी लाया गया।
साथ ही पश्चिम बंगाल राज्य के झारग्राम ,पुरुलिया, बांकुरा, जलपाईगुड़ी ,अलीपुरद्वार, पश्चिम बर्दवान, बीरभूम जिले के आदिवासी और मूलवासी जो पूर्व में पार्टी के सक्रिय सदस्य एवं समर्थक रहे उन्हें संगठित कर उनकी राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के लिए संगठन को सशक्त एवं सक्रिय बनाने का प्रस्ताव भी लाया गया। इसके साथ ही उड़ीसा राज्य के मयूरभंज ,क्योझोर, एवं सुंदरगढ़ जिले जो राज्य के सीमा वटी जिले हैं उन्हें राजनीतिक तौर पर संगठित करने पर जोर दिया गया और पंचायत स्तर से लेकर विधानसभा एवं लोकसभा स्तर पर अपना प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने को कहा।
अधिवेशन में जल जंगल जमीन को संरक्षित करने के उद्देश्य से मूलवासी आदिवासियों की जमीन का स्थाई पत्ता उपलब्ध करवाने की समुचित व्यवस्था हो इसके लिए संविधान एवं काश्तकारी अधिनियम के तहत कारगर कानून को प्रतिष्ठित कर जोत कोड कर रहे आदिवासी मूल वासियों को स्थाई स्वामित्व प्रदान करने पर बल दिया गया। इसके लिए लैंड रेस्टोरेशन कमीशन (भू – वापसी आयोग ) का गठन करने की बात कही गई।
खतियान आधारित स्थानीय पहचान प्रदान करते हुए जिला सवर्ग के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के नियुक्तियों में 100% आरक्षण जिला सवर्ग में लागू होने की बात कही गई। अनुसूचित जनजाति को 28%, अनुसूचित जाति को 14% एवं अति पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया गया। भारत के जनगणना में देश में रह रहे आदिवासियों की पहचान के लिए ‘सरना धर्म कोड’ लागू हो और जातिगत जनगणना को भी लागू करने से संबंधित सहित कुल 16 महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रस्ताव 13वें केंद्रीय महाधिवेशन के पहले दिन लाए गए।
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