बच्चे पैदा करने पर टैक्स में छूट : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
आजाद भारत का पहला बजट 16 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसे देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। हालांकि यह एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा रिपोर्ट थी। जब देश का पहला बजट पेश किया गया था उस समय देश में 1500 रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री थी।
नई दिल्ली (आरएनआई) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के बजट भाषण में ने इंडिविजुअल टैक्सपेयर के लिए आयकर का दायरा बढ़ाने का एलान किया था। आयकर का दायरा पांच लाख से बढ़ाकर सात लाख रुपये (नई टैक्स रिजीम के तहत) कर दिया गया था। सुपर रिच टैक्स को घटाकर 37 प्रतिशत कर दिया गया था। वहीं रिटायर्ड कर्मियों के लिए लिव इनकैशमेंट को बढ़ाकर तीन लाख से 25 लाख रुपये कर दिया गया था।
पिछले साल नई टैक्स रिजीम को डिफाल्ट कर दिया गया है। नई टैक्स व्यवस्था को केंद्र सरकार ने एक अप्रैल 2020 से लागू किया था। नई टैक्स व्यवस्था यानी नई टैक्स रिजीम में नए टैक्स स्लैब बनाए गए थे लेकिन आयकर में मिलने वाले सारे डिडक्शन और छूट समाप्त कर दिए गए थे।
आजाद भारत का पहला बजट 16 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसे देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। हालांकि यह एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा रिपोर्ट थी। जब देश का पहला बजट पेश किया गया था उस समय देश में 1500 रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री थी। 2023 में मोदी सरकार की ओर से पेश किए गए बजट में यह लिमिट 7 लाख (नई टैक्स रिजिम के तहत) हो गई।
1955 में जनसंख्या बढ़ाने के लिए पहली बार देश में शादीशुदा और कुंवारों के लिए अलग-अलग टैक्स फ्री इनकम रखी गई। शादीशुदा को 2000 रुपये तक कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। वहीं, कुंवारों के लिए यह लिमिट 1000 रुपये ही थी।
भारत 1958 में बच्चों की संख्या के आधार पर इनकम टैक्स में छूट देने वाला दुनिया का इकलौता देश बना। अगर शादीशुदा हैं, पर बच्चा नहीं है तो 3000 रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं देना पड़ता था। लेकिन, एक बच्चा होने पर 3300 रुपये और 2 बच्चों पर 3600 रुपये की आय टैक्स फ्री थी।
1973-74 में भारत में सबसे ज्यादा टैक्स रेट था। उस समय आयकर वसूलने की अधिकतम दर 85 फीसदी कर दी गई। सरचार्ज मिलाकर यह टैक्स रेट 97.75 फीसदी पहुंच गया। 2 लाख रुपये की इनकम के बाद हर 100 रुपये की कमाई में से सिर्फ 2.25 रुपये ही कमाने वाले की जेब में जाते थे। बाकी 97.75 रुपये सरकार रख लेती थी।
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