फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम बंद करने पर ब्राजील सरकार का मेटा को नोटिस, 72 घंटे के अंदर मांगा जवाब
मार्क जुकरबर्ग की कंपनी मेटा ने हाल ही में बताया था कि वह अपने फैक्ट चेक प्रोग्राम को ‘कम्युनिटी नोट्स’ प्रोग्राम से बदल रहे हैं। इसपर ब्राजील ने मेटा को नोटिस जारी कर इस फैसले के पीछे का कारण जानना चाह है।
ब्रासिलिया (आरएनआई) ब्राजील की संघीय सरकार ने गुरुवार को मेटा (जो फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप का मालिक है) को एक कानूनी नोटिस जारी किया है। इसमें यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि आखिर मेटा अपने प्लेटफार्मों पर नफरत भरे भाषण और गलत जानकारी को रोकने के लिए फैक्ट-चेकिंग के अपने अभ्यास को क्यों खत्म कर रहा है।
ब्राजील के अटॉर्नी जनरल कार्यालय ने मेटा को स्पष्टीकरण देने के लिए 72 घंटे का समय दिया है। साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि ब्राजील में बच्चों और किशोरों, संवेदनशील जनसंख्या और व्यापारिक माहौल की रक्षा के लिए सख्त कानून हैं और हम इन मंचों को डिजिटल हिंसा या बर्बरता में तब्दील होने की अनुमति नहीं देंगे।
इसके साथ ही नोटिस में गुरुवार को पोस्ट की गई फर्जी वीडियो को हटाने का भी आदेश दिया गया। दरअसल, वीडियो में ब्राजील के वित्त मंत्री फर्नांडो हद्दाद से संबंधित एक झूठी टिप्पणी को एआई द्वारा संशोधित किया गया था, जिसमें जानवरों पर प्रस्तावित कर को लेकर गलत बातें की गई थीं।
मार्क जुकरबर्ग की कंपनी मेटा ने हाल ही में बताया था कि वह अपने फैक्ट चेक प्रोग्राम को ‘कम्युनिटी नोट्स’ प्रोग्राम से बदल रहे हैं। बता दें कि प्रोग्राम ये एलन मस्क के माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मॉडल के समान है। थर्ड पार्टी फैक्ट चेक प्रोग्राम को हटाने की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका से होगी।
फेसबुक और इंस्टाग्राम की मूल कंपनी मेटा ने कहाथा कि उसने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि एक्सपर्ट फैक्ट चेकर की अपनी कुछ कमियां हैं और वे किसी एक पक्ष की तरफ हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस कारण बहुत अधिक कंटेंट फैक्ट चेकिंग के दायरे में आ जाते हैं।
अटॉर्नी जनरल कार्यालय ने मेटा को चेतावनी दी कि उसे ब्राजील के संविधान और बुनियादी अधिकारों का पालन करना चाहिए। यह कदम ब्राजील सरकार के सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को गलत जानकारी और हानिकारक सामग्री फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराने के प्रयासों का हिस्सा है। इससे पहले, ब्राजील ने टिकटॉक और एक्स जैसे प्लेटफार्मों के खिलाफ कानूनी कदम उठाए थे, जिससे इनकी सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित हो गई थीं।
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