'फेसबुक और व्हाट्सएप सावधानी बरतें, जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते' : सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया मध्यस्थों को पॉक्सो के तहत किसी अपराध के घटित होने या घटित होने की आशंका की सूचना नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन(एनसीएमईसी) को देने के अलावा पॉक्सो की धारा 19 के तहत निर्दिष्ट अथॉरिटी यानी विशेष किशोर पुलिस इकाई या स्थानीय पुलिस को भी इसकी सूचना देनी होगी।

Sep 24, 2024 - 04:55
 0  1.4k
'फेसबुक और व्हाट्सएप सावधानी बरतें, जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते' : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने बाल पोर्न मामले में सोशल मीडिया मध्यस्थों (फेसबुक, व्हाट्सएप) से उचित सावधानी बरतने के लिए कहा। इन सावधानियों में न केवल ऐसी सामग्री को हटाना शामिल है बल्कि पॉक्सो अधिनियम और नियमों के तहत निर्दिष्ट तरीके से पुलिस को ऐसी सामग्री की तत्काल रिपोर्ट करना भी शामिल है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, हमारा विचार है कि किसी मध्यस्थ ने यदि  उचित सावधानी नहीं बरती और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया तो वह आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत किसी तीसरे पक्ष की सूचना, डाटा या संचार लिंक के लिए उत्तरदायित्व से छूट का दावा नहीं कर सकता।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया मध्यस्थों को पॉक्सो के तहत किसी अपराध के घटित होने या घटित होने की आशंका की सूचना नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन(एनसीएमईसी) को देने के अलावा पॉक्सो की धारा 19 के तहत निर्दिष्ट अथॉरिटी यानी विशेष किशोर पुलिस इकाई या स्थानीय पुलिस को भी इसकी सूचना देनी होगी। पीठ ने कहा, संरक्षण का लाभ उठाने के लिए मध्यस्थ को किसी भी तरह से तीसरे पक्ष के डाटा या सूचना के प्रसारण, प्राप्ति या संशोधन की शुरुआत करने में शामिल नहीं होना चाहिए। इसके अलावा आईटी अधिनियम के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय उचित कृत्य (कार्य) का पालन करना और केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित अन्य दिशा-निर्देशों का भी पालन करना आवश्यक है।

अदालत ने फैसले में बताया कि पॉक्सो के नियम 11 के तहत मध्यस्थों पर न केवल पॉक्सो के तहत अपराधों की रिपोर्ट करने का दायित्व है बल्कि ऐसी सामग्री के स्रोत सहित आवश्यक सामग्री को विशेष किशोर पुलिस इकाई या स्थानीय पुलिस या साइबर-क्राइम पोर्टल को सौंपना भी जरूरी है। पीठ ने कहा, धारा 79 के तहत प्राप्त सुरक्षा तब समाप्त हो जाती है और तब लागू नहीं होती है जब मध्यस्थ ने गैरकानूनी कार्य करने में धमकी, वादा या साजिश रची हो या उकसाया हो या सहायता की हो या प्रेरित किया हो या वास्तविक जानकारी प्राप्त की हो, या यदि मध्यस्थ किसी भी तरह से सबूतों को खराब किए बिना सामग्री तक पहुंच को शीघ्रता से हटाने में विफल रहता है।

पीठ ने कहा, इस अदालत के संज्ञान में लाया गया है कि सोशल मीडिया मध्यस्थ बाल दुर्व्यवहार और शोषण के ऐसे मामलों की रिपोर्ट पॉक्सो के तहत निर्दिष्ट स्थानीय अथॉरिटी को नहीं देते हैं और इसकी बजाय केवल समझौता ज्ञापन में निर्धारित आवश्यकताओं का पालन करते हैं। पॉक्सो अधिनियम और उसके तहत नियमों के सर्वोपरि प्रभाव को देखते हुए, केवल इसलिए कि कोई मध्यस्थ आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत निर्दिष्ट आवश्यकताओं का अनुपालन करता है, उसे पॉक्सो के तहत किसी भी दायित्व से मुक्त नहीं किया जाएगा।

गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो और अमेरिका स्थित गैर सरकारी संगठन नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन के बीच एक समझौता ज्ञापन के अनुसार, सभी सोशल मीडिया मध्यस्थों को बाल दुर्व्यवहार और शोषण के मामलों की रिपोर्ट एनसीएमईसी को देनी होती है, जो इन मामलों की रिपोर्ट एनसीआरबी को देता है और एनसीआरबी इसे राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के माध्यम से भारत में संबंधित राज्यों को भेजता है।

सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं को सहमति और शोषण के प्रभाव के बारे में स्पष्ट समझ देने के लिए व्यापक यौन शिक्षा कार्यक्रम लागू करने का आह्वान किया। साथ ही कहा, यौन शिक्षा पश्चिमी अवधारणा नहीं है। बाल पोर्नोग्राफी पर सुनाए ऐतिहासिक फैसले में केंद्र सरकार से स्वास्थ्य और यौन शिक्षा के लिए एक व्यापक कार्यक्रम या तंत्र तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन पर विचार करने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि भारत में यौन शिक्षा के बारे में गलत धारणाएं व्यापक से फैली हैं और सामाजिक कलंक यौन स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करने में अनिच्छा पैदा करता है, जिसके परिणामस्वरूप किशोरों के बीच ज्ञान का अंतर होता है। कोर्ट ने कहा, माता-पिता और शिक्षकों सहित कई लोग रूढ़िवादी विचार रखते हैं कि सेक्स पर चर्चा करना अनुचित, अनैतिक या शर्मनाक है। एक प्रचलित गलत धारणा यह है कि यौन शिक्षा युवाओं में संकीर्णता और गैर-जिम्मेदार व्यवहार को प्रोत्साहित करती है। आलोचक अक्सर तर्क देते हैं कि यौन स्वास्थ्य और गर्भनिरोधक के बारे में जानकारी देने से किशोरों में यौन गतिविधि बढ़ेगी। हालांकि शोध से पता चला है कि व्यापक यौन शिक्षा वास्तव में यौन गतिविधि की शुरुआत में देरी करती है और यौन रूप से सक्रिय लोगों के बीच सुरक्षित व्यवहार को बढ़ावा देती है।

Follow    RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.