फिनलैंड लगातार आठवें वर्ष हैप्पीनेस इंडेक्स में शीर्ष पर
फिनलैंड लगातार आठवीं बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना है। 147 देशों की इस रैंकिंग में भारत को 118वां स्थान मिला है। पिछले साल इस रैंकिंग में भारत 126वें नंबर पर था। इस तरह भारत की रैंकिंग में आठ स्थानों का सुधार हुआ है। हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि इस सूची में भारत से इस बार भी पाकिस्तान ने बाजी मार ली है।

वाशिंगटन (आरएनआई) फिनलैंड लगातार आठवीं बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना है। 147 देशों की इस रैंकिंग में भारत को 118वां स्थान मिला है। पिछले साल इस रैंकिंग में भारत 126वें नंबर पर था। इस तरह भारत की रैंकिंग में आठ स्थानों का सुधार हुआ है। हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि इस सूची में भारत से इस बार भी पाकिस्तान ने बाजी मार ली है। पाकिस्तान को हैप्पीनेस इंडेक्स में 109वीं रैंकिंग मिली है।
वेलबीइंग रिसर्च सेंटर, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से प्रकाशित वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 के अनुसार, खुशहाली सिर्फ आर्थिक विकास से तय नहीं होती, बल्कि इसमें लोगों का आपसी भरोसा और सामाजिक जुड़ाव भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार अन्य नॉर्डिक देश भी एक बार फिर खुशी की रैंकिंग में शीर्ष पर हैं। फ़िनलैंड के अलावा, डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीडन शीर्ष चार में बने हुए हैं और इसी क्रम में हैं। देशों की रैंकिंग उन जवाबों पर आधारित थी जो लोगों ने तब दिए जब उनसे उनके खुद के जीवन को रेट करने के लिए कहा गया। यह अध्ययन एनालिटिक्स फर्म गैलप और यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क के साथ साझेदारी में किया गया था।
गैलप के सीईओ जॉन क्लिफ्टन ने कहा, "खुशी सिर्फ धन या विकास से जुड़ा नहीं है- यह विश्वास, संबंध और यह जानने के बारे में है कि लोग आपका साथ दे रहे हैं या नहीं।" उन्होंने कहा, "अगर हम मजबूत समुदाय और अर्थव्यवस्था चाहते हैं, तो हमें उस चीज में निवेश करना चाहिए जो वास्तव में मायने रखती है यानी एक-दूसरे में
खुश लोगों की रैंकिंग में अमेरिका अब तक के सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है। रैंकिंग में शीर्ष 20 में यूरोपीय देशों का दबदबा है, लेकिन कुछ अपवाद भी हैं। हमास के साथ युद्ध के बावजूद, इस्राइल आठवें स्थान पर है। कोस्टा रिका और मेक्सिको पहली बार खुश देशों के शीर्ष 10 में शामिल हुए, ये क्रमशः छठे और 10वें स्थान पर हैं। अमेरिका इस रैंकिंग में अपने अब तक के सबसे निचले स्थान 24वें नंबर पर पहुंच गया है। इससे पहले 2012 में वह 11वें स्थान पर था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में अमेरिका में अकेले भोजन करने वाले लोगों की संख्या में 53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सूची में यूनाइटेड किंगडम 23 स्थान पर है। इस रैंकिंग में अफगानिस्तान को दुनिया का सबसे दुखी देश बताया गया है। अफगान महिलाओं का कहना है कि उनका जीवन विशेष रूप से कठिन है। पश्चिमी अफ्रीका में सिएरा लियोन दूसरा सबसे दुखी देश है, उसके बाद लेबनान है, जो नीचे से तीसरे स्थान पर है।
दुनिया के 20 सबसे खुशहाल देश
फिनलैंड
डेनमार्क
आइसलैंड
स्वीडन
नीदरलैंड
कोस्टा रिका
नॉर्वे
इस्राइल
लक्ज़मबर्ग
मेक्सिको
ऑस्ट्रेलिया
न्यूज़ीलैंड
स्विटजरलैंड
बेल्जियम
आयरलैंड
लिथुआनिया
ऑस्ट्रिया
कनाडा
स्लोवेनिया
चेक गणराज्य
हैप्पीनेस इंडेक्स में सबसे खराब रैंकिंग
अफगानिस्तान (नंबर 147) एक बार फिर सूची में सबसे नीचे है। सिएरा लियोन (नंबर 146), लेबनान (नंबर 145), मलावी (नंबर 144) और जिम्बाब्वे (नंबर 143) खुशहाली के मामले में सबसे निचले पांच देशों में शामिल हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि स्वास्थ्य और धन के अलावा, खुशी को प्रभावित करने वाले कुछ कारक भ्रामक रूप से सरल लगते हैं। रिपोर्ट के अनुसार दूसरों के साथ भोजन साझा करना, सामाजिक समर्थन के लिए किसी पर निर्भर होना और परिवार का आकार आपकी खुशी को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, मेक्सिको और यूरोप में, चार से पांच लोगों का परिवार खुशी के उच्चतम स्तर पर हैं। निष्कर्षों के अनुसार, दूसरों की दयालुता पर विश्वास करना भी पहले की अपेक्षा खुशी से अब कहीं अधिक निकटता से जुड़ा हुआ है।
उदाहरण के तौर पर, रिपोर्ट बताती है कि जो लोग यह शिद्दत से मानते हैं कि दूसरे लोग उनका खोया हुआ बटुआ भी लौटाने को तैयार हो जाएंगे, वे किसी जनसंख्या की समग्र खुशी का एक मजबूत कारक होते हैं। अध्ययन में पाया गया कि नॉर्डिक देश में ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है।
रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में लगभग हर पांचवें युवा वयस्को को कोई सामाजिक मदद नहीं मिलती। अध्ययन में कहा गया है कि चिंताजनक बात यह है कि 2023 में दुनिया भर के 19 प्रतिशत युवा वयस्कों ने बताया कि उनके पास कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिस पर वे सामाजिक सहायता के लिए भरोसा कर सकें। यह 2006 की तुलना में 39 प्रतिशत अधिक है। इस रिपोर्ट को तैयार करने के के लिए सभी देशों को 2022 से 2024 के दौरान उनके स्व-मूल्यांकित जीवन के औसत के अनुसार रैंकिंग दी गई है।
अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, किसी पर भरोसा करने की क्षमता, स्वतंत्रता की भावना, उदारता और भ्रष्टाचार की धारणा जैसे कारकों का उपयोग करके विभिन्न देशों और समय के साथ होने वाले बदलावों को समझाने का प्रयास करते हैं।
इस रिपोर्ट का सबसे बड़ा संदेश है- खुशी केवल संपत्ति या नौकरी से नहीं आती। यह इस बात पर भी निर्भर करती है कि हम अपने समाज को कितना भरोसेमंद और सहायक बनाते हैं। तो अगली बार जब आप अपने परिवार के साथ बैठकर खाना खाएं, किसी दोस्त की मदद करें, या किसी अजनबी पर भरोसा करें-समझ लीजिए, आप अपने देश की खुशहाली में एक ईंट जोड़ रहे हैं।
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