फलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए 17,66 करोड़ की परियोजना; स्थापित होंगे नौ विश्व स्तरीय पौध केंद्र
भारत में फलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए 17 सौ 66 करोड़ की परियोजना को मंजूरी दे दी है। इसकी मदद से देश में नौ विश्व स्तरीय पौध केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
नई दिल्ली (आरएनआई) केंद्रीय कैबिनेट ने देश में बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 1,765.67 करोड़ रुपये के स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम (सीपीपी) को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, सीपीपी बागवानी फसलों में वायरस संक्रमण की समस्या से निपटेगी, जिससे उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है। इस कार्यक्रम के तहत पूरे देश में नौ विश्व स्तरीय स्वच्छ पौध केंद्र (सीपीसी) स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों में संक्रमण की जांच की उन्नत तकनीक और ऊतक संवर्धन प्रयोगशालाएं भी होंगी।
इसके अलावा बीज अधिनियम 1966 के तहत एक मजबूत प्रमाणन प्रणाली का कार्यान्वयन किया जाएगा। अच्छे पौधों के लिए बड़े पैमाने पर नर्सरियों को बुनियादी ढांचागत सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से क्रियान्वित किया जाएगा।
10 वर्षों में बागवानी निर्यात 50,000 करोड़ के पार...वैष्णव ने कहा कि पिछले दस वर्षों में बागवानी निर्यात बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। सीपीपी से फलों के अग्रणी वैश्विक निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत होने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत और दो करोड़ मकान बनाने के ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है। इसमें दो करोड़ से अधिक घरों के निर्माण का प्रावधान है जिसके लिए मैदानी क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपये और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों और पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में 1.30 लाख रुपये की प्रति मकान के लिए सरकारी सहायता दी जाती है।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, कैबिनेट ने इस योजना को अप्रैल 2024 से मार्च 2029 तक जारी रखने पर भी मुहर लगा दी है। 2028-29 तक की अवधि के लिए कुल 3,06,137 करोड़ रुपये का परिव्यय प्रदान किया गया है, जिसमें 2,05,856 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा और 1,00,281 करोड़ रुपये का राज्य हिस्सा शामिल होगा।
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