प्रियाकांतजू मंदिर में शुरू हुई होली, भक्तों पर बरस रहे रंग...आनंदित हुआ वातावरण
कान्हा की नगरी में होली का उल्लास छाया हुआ है। मथुरा, वृंदावन, बरसाना और दाऊजी में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। बरसाने की लट्ठमार और लड्डूमार होली के बीच अब यहां हर ओर गुलाल बरस रहा है। वहीं आज गोकुल में छड़ीमार होली का आयोजन होगा।

मथुरा (आरएनआई) आज ब्रज में होली रे रसिया होरी रे रसिया बर जोरी रे रसिया। यह गूंज इन दिनों धार्मिक नगरी मंदिर वृंदावन के हर एक छोटे बड़े मंदिर सुनाई दे रही है। इतना ही नहीं बल्कि इस गूंज के साथ श्रद्धालु भी ठाकुर जी के रस रंग में जमकर गोते लगा रहे हैं। इसी क्रम में गुरुवार को मथुरा वृंदावन मार्ग स्थित ( लीलानंद ठाकुर) पागल बाबा मंदिर से होली का डोला निकाला गया। डोले में विराजमान भगवान राधा कृष्ण के स्वरूप भक्तों पर अबीर गुलाल की बरसा करते हुए चल रहे थे। जिसका कण कण पाने के।लिए भक्त खासे लालायित नजर आए।डोले में शामिल भक्त बैंड बाजों की धुन पर एक दूसरे को गुलाल लगाते और नाचते गाते हुए चल रहे थे।
आकर्षण का केंद्र लीलानंद ठाकुर का डोला रहा।मंदिर परिसर से शुरू हुई डोला नगर भ्रमण करता हुआ भूत गली स्थित प्राचीन पागल बाबा मंदिर पहुंचा। जहां ठाकुर जी के स्वरूपों के चरणों में गुलाल अर्पित कर एक बार फिर जमकर होली खेली गई। जिसके चलते संपूर्ण परिसर होली की मस्ती में झूम उठा।सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस कर्मी डोले के साथ कदम ताल करते हुए चल रहे थे। जिसके चलते संपूर्ण परिसर भगवान राधा कृष्ण व लीलानंद ठाकुर पागल बाबा के जयकारों से गुंजायमान हो गया। इस संबंध में मंदिर के प्रबंधक बलदेव चतुर्वेदी ने बताया कि मंदिर की यह परम्परा विगत कई वर्षों से चली आ रही है। जिसका भक्तों को वर्ष भर इंतजार रहता है।
प्रियाकान्तजु मंदिर पर 13 मार्च को ब्रज की सम्पूर्ण सतरंगी होली मनाई। मंदिर पर टेसू के फूलों को भिगोंकर बनाया गया सुगंधित रंग बरसाया गया। देवकीनंदन महाराज ने हाईड्रोलिक पिचकारी से श्रद्धालुओं पर रंगों की वर्षा की। मंदिर पर सात प्रकार की होली खेली गई। हाईड्रोलिक होली ने भक्तों को आनंदित कर दिया। सैकड़ों की संख्या में यहां लोग पहुंचे। होली के रसिया पर भक्त थिरक रहे थे।
वृंदावन के प्रियाकांतजू मंदिर में होली शुरू हो गई है। होलिका दहन से पूर्व सुबह 11 बजे से मंदिर प्रांगण में सात प्रकार की होली प्रारंभ हुई है। श्रद्धालुओं के बीच फूलों की होली, लड्डु-जलेबी होली, रसिया गायन होली, भजन नृत्य होली, लठामार होली, गुलाल की होली और अंत में टेसू के रंगों की होली खेली जाएगी।
होलिका दहन के दिन संजू पंडा का व्रत पूरा होगा। उस दिन मुहूर्त के अनुसार प्रह्लाद कुंड के समीप विशालकाय होलिका बनाई जाएगी। यह करीब 30 फीट व्यास से ज्यादा की होगी। मुहूर्त के अनुसार पंडा प्रह्लाद जी के मंदिर से निकलेंगे और फिर प्रह्लाद कुंड में स्नान कर सीधे जलती होली की लपटों के बीच से नंगे पैर जाएंगे।
भक्त प्रह्लाद लीला को साकार करने के लिए अग्नि की जलती लपटों से निकलने की परंपरा को जीवित रखने वाले गांव फालैन के ग्रामीण होली मेले की तैयारियां करने में जुटे हैं। वहीं होलिका के दहकते अंगारों के बीच गुजरने के लिए आस्था की 'अग्नि परीक्षा' देने के लिए संजू पंडा तैयार हैं।
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