प्राण वायु, जल और मिट्टी के बिना जीवन की कल्पना करना निरर्थक है:-प्रदीप सोलंकी
हरदोई (लक्ष्मीकान्त पाठक) प्राण वायु जल और और मिट्टी के बिना जीवन की कल्पना करना निरर्थक है यह उदगार सोलीडरीदाद संस्था के कोआर्डिनेटर प्रदीप सोलंकी ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित किसान गोष्ठी में व्यक्त करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षित रखने के लिये एक जनांदोलन की महती आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हम कंक्रीट के जंगल बनाने में इतने व्यस्त हैं की मूलभूत आवश्यकताओं को ही भूल रहे हैं यदि हम अब भी न सुधरे तो इसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ेंगे, श्री सोलंकी ने गन्ना किसानों को सस्टेनेबल कृषि पद्धतियों के भी गुण बताए चर्चा को आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश गन्ना किसान प्रशिक्षण संस्थान शाहजहांपुर सहायक निदेशक के डा.पी.के.कपिल ने गन्ना किसानों को ट्रैश मल्चिंग, जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट आदि का प्रयोग कर मृदा स्वास्थ्य सुधारने के प्रति विस्तार से जानकारी दी साथ ही खेती में मौसम की अनिश्चिततिताओं से बचने के लिए मौसम एडवाइजरी नंबर 7065005054 पर मिस्ड काल कर जानकारी करने के बारे में जागरूक किया। इस कार्यक्रम में विकास खण्ड भरखनी की ग्राम पंचायत पाण्डेयपुर के अग्रणी कृषकों के अलावा गन्ना प्रबंधन मनोज पाण्डेय , दिवाकर सिंह कंसल्टेंट राजकुमार, विपिन सिंह, आलोक यादव समेत सैकड़ों किसान मौजूद रहे। ज्ञातव्य हो कि पिछले 1 दशक से हरदोई ,लखीमपुर, शाहजहांपुर जनपदों में अन्तर्राष्ट्रीय संस्था सॉलीडैरीडैड गन्ना किसानों के बीच लगातार काम कर रही है,। संस्था का प्रयास है कि किसान बेहतर स्वास्थ्य व स्वच्छ वातावरण में कृषि कार्य करें। इसके लिए संस्था नेस्मार्ट एग्री योजना के तहत एक हजार किसानों को सेफ्टी किट ,के अलावा एक हजार किसानों को वर्मी वेड लगवाकर वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया है। इतना ही नहीं किसानो को पानी की बचत को प्रोत्साहित करने के लिये एक हजार नमी संकेतक यन्त्र निशुल्क वितरित किये है। संस्था द्वारा महिलाओं के स्वास्थ्य एवं मृदा स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वायो गैस प्लांट भी लगाये जा रहे हैं। जिला हरदोई एवं लखीमपुर खीरी क्षेत्र में अब तक 100 वायोगैस(गोबरगैस) प्लांट लगाये जा चुके है जिसमे अधिकांश वायो गैस प्लांट संचालित हो गये है। वायो गैस प्लांट से जहां एक ओर महिलाओं को खाना बनाने में मदद मिल रही है वहीं खेतों में प्लांट से निकलने वाले अवशेष से खेतों में प्रयोग करने से उत्पादन बढ रहा है।
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