प्रशासन ने श्रीनगर की जामिया मस्जिद में ‘जुमा-तुल-विदा’ की नमाज अदा करने पर रोक लगाई
स्थानीय प्रशासन ने यहां जामिया मस्जिद में रमजान के आखिरी जुमे पर ‘जुमा-तुल विदा’ की सामूहिक नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी है।
श्रीनगर, 14 अप्रैल 2023, (आरएनआई)। स्थानीय प्रशासन ने यहां जामिया मस्जिद में रमजान के आखिरी जुमे पर ‘जुमा-तुल विदा’ की सामूहिक नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी है।
शहर के नौहट्टा इलाके में स्थित मस्जिद के प्रबंध निकाय अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने एक बयान में कहा कि जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को सुबह मस्जिद का दौरा किया और प्रबंधन से दरवाजे पर ताला लगाने को कहा है, क्योंकि ‘‘प्रशासन ने फैसला लिया है कि मस्जिद में ‘जुमा-तुल विदा’ की नमाज की अनुमति नहीं दी जाएगी।’’
बयान के अनुसार, ‘‘औकाफ ने अधिकारियों के इस कदम का कड़ा विरोध किया। इस कदम से लाखों मुसलमानों को भारी परेशानी होगी, जो परंपरागत रूप से घाटी के सभी हिस्सों से जामिया मस्जिद में रमजान के आखिरी जुमे को नमाज अदा करने यहां आते हैं क्योंकि इस महीने का आखिरी जुमा बेहद खास होता है।’’
अधिकारियों ने पिछले महीने मस्जिद में ‘शब-ए-बारात’ की सामूहिक नमाज अदा करने की अनुमति भी नहीं दी थी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने यहां जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज की अनुमति नहीं दिए जाने पर खेद व्यक्त किया।
इस मामले पर अब्दुल्ला ने यहां हजरतबल दरगाह में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे इसका अफसोस है।’’
श्रीनगर से लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने सवाल किया, ‘‘अगर हालात अच्छे हैं, तो जामिया मस्जिद में नमाज की अनुमति क्यों नहीं दी गई?’’
इस घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रशासन जामिया मस्जिद के दरवाजे पर ताला लगाकर घाटी में अमन-चैन होने के अपने ही दावों को झुठला रहा है।
नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘‘हमसे बार-बार जम्मू-कश्मीर में अमन-चैन होने का दावा किया जाता है, इसके बावजूद रमजान के आखिरी जुमे के लिए हमारी सबसे पाक मस्जिदों में से एक जामिया मस्जिद का दरवाजा बंद करके प्रशासन अपने ही दावों की पोल खोल रहा है।’’
इस बीच, हुर्रियत कांफ्रेंस ने कहा कि मस्जिद को बंद करना सरकार के जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति के दावे के उलट है।
हुर्रियत ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘अगस्त 2019 के बाद से कश्मीर के मीरवाइज मोहम्मद उमर फारूक को लंबे समय तक नजरबंद रखना और यहां तक कि रमजान के पवित्र महीने में सभी वर्गों की तरफ से उनकी रिहाई की अपील के बावजूद, मीरवाइज के रूप में उन्हें अपने धार्मिक दायित्वों से रोकना बहुत खेदजनक है। यह अधिकारियों के उस दावे को झुठला रहा है कि नये कश्मीर में अब सब ठीक है।’’
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