प्रशासन की पहल, बच्चों को भिक्षावृति व नशे से बचाने के प्रयास शुरू,जिला प्रशासन के दल अलग अलग क्षेत्रों में निकले
ग्वालियर (आरएनआई) ग्वालियर जिला कलेक्टर श्रीमती रुचिका सिंह चौहान द्वारा कल मंगलवार को दिए निर्देशों का असर आज जमीन पर दिखाई दिया और ग्वालियर जिले में भिक्षावृत्ति व नशे में लिप्त बच्चों के पुनर्वास के प्रयास शुरू हो गए हैं। इस सिलसिले में जिला प्रशासन द्वारा गठित दल बुधवार को ठाठीपुर, गोविंदपुरी, राजमाता चौराह, तानसेन रेसीडेंसी तिराहा सहित ग्वालियर शहर के अन्य तिराहों और चौराहों क्षेत्र में पहुँचे। इन दलों द्वारा बच्चों व उनके परिजनों को समझाया जा रहा है कि वे भिक्षावृति छोड़कर शासन की योजनाओं से जुड़कर अपना जीवन बेहतर बनाएँ।
जिला प्रशासन द्वारा गठित दल शहर के विभिन्न इलाकों में पहुँचे
कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से ऐसे बच्चों का पुनर्वास करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं। साथ ही कहा है कि ऐसे बच्चों को शिक्षा से भी जोड़ा जाए। उन्होंने भिक्षावृत्ति और नशे में लिप्त बच्चों को चिन्हित कर सूचीबद्ध करने और उनके पुनर्वास के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने जोर देकर कहा कि सर्वेक्षण के दौरान इस बात पर विशेष नजर रखें कि कोई संगठित गिरोह बच्चों से भिक्षावृत्ति तो नहीं करा रहा है। यदि ऐसी स्थिति सामने आए तो किशोर न्याय ( बालकों की देखरेख और संरक्षण ) अधिनियम तहत कार्रवाई की जाए। बच्चों से भीख मंगवाने वालों को पाँच वर्ष का कारावास और एक लाख रुपए का दंड देने का प्रावधान इस अधिनियम में है।
कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने भिक्षावृत्ति से बच्चों को बचाने के लिए व्यापक स्तर पर समाज में जन जागरूकता लाने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने भिक्षावृत्ति रोकथाम के लिए चौराहों, धार्मिक स्थानों व भिक्षावृत्ति के अन्य हॉटस्पॉट पर होर्डिंग व पेम्प्लेट लगाने और रैली इत्यादि निकालकर प्रचार प्रसार करने के निर्देश दिए। जिले में भिक्षावृत्ति के हॉटस्पॉट फूलबाग चौराहा, खेड़ापति मंदिर, सांई बाबा मंदिर, मंशापूर्ण हनुमान मंदिर, अचलेश्वर, कोटेश्वर, जौरासी मंदिर, गोले का मंदिर, मेला ग्राउण्ड, रेल्वे स्टेशन, बस स्टैण्ड आदि स्थानों पर भिक्षावृत्ति के खिलाफ जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को बाल कल्याण समिति में पेश करने के उपरांत पुनर्वास केन्द्र में पहुँचाया जाएगा और विभिन्न विभागों की कल्याणकारी योजनाओं से बच्चों को जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे।
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