प्रदूषित कणों से दुनिया में हर साल 10 लाख लोगों की मौत
प्रमुख शोधकर्ता प्रो. युमिंग गुओ ने कहा कि दुनिया के 13 हजार से अधिक शहर और कस्बों में वायु प्रदूषण और हर साल हुई मौतों का विश्लेषण किया गया है। इसमें पाया कि पीएम 2.5 जोखिम के कारण मृत्यु दर के मामले में चीन शीर्ष पर है।
नई दिल्ली (आरएनआई) हवा में मौजूद सूक्ष्म प्रदूषित कण पीएम 2.5 की वजह से हर साल 10 लाख लोगों की असामयिक मौत हो रही है। यह कण सांस के जरिए आसानी से शरीर में पहुंच जाते हैं और तेजी से रक्त में मिश्रित होकर बाकी अंगों को प्रभावित करते हैं। शोधकर्ताओं ने चिंता जताते हुए तत्काल इससे निपटने के ठोस कदम उठाना जरूरी बताया है।
ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन द लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसके मुताबिक पीएम 2.5 युक्त हवा में कुछ घंटे या दिन तक मौजूद रहते हैं, जो लोगों की जान का जोखिम बढ़ाते हैं। साल 2000 से 2019 के बीच शोधकर्ताओं ने देखा कि पूरी दुनिया में हर साल 10 लाख से ज्यादा लोगों की असामयिक मौत हुईं। इसमें 65 फीसदी मौते भारत सहित एशिया के देशों में हुई है जहां साल के लगभग 365 दिन वायु प्रदूषण बना रहता है।
प्रमुख शोधकर्ता प्रो. युमिंग गुओ ने कहा कि दुनिया के 13 हजार से अधिक शहर और कस्बों में वायु प्रदूषण और हर साल हुई मौतों का विश्लेषण किया गया है। इसमें पाया कि पीएम 2.5 जोखिम के कारण मृत्यु दर के मामले में चीन शीर्ष पर है। भारत 15वें से आठवें स्थान पर पहुंचा है। अगर पड़ोसी देशों के साथ तुलना करें तो पाकिस्तान और बांग्लादेश में वायु प्रदूषण भारत की तुलना में कम है। शोधकर्ताओं का कहना है कि 2019 में दिल्ली और चीन के गुआंगजौ व बीजिंग दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहे। यहां मौतें भी सबसे अधिक हुई हैं।
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