पृथ्वी ग्रह को संविधान की प्रस्तावना में शामिल करने की मांग

अरविंद पाठक, वरिष्ठ पत्रकार

Feb 27, 2024 - 18:40
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पृथ्वी ग्रह को संविधान की प्रस्तावना में शामिल करने की मांग

दरभंगा, 27 फरवरी 2024 (एजेंसी)। वैश्विक लोकतंत्र और भूमण्डली शान्ति की संस्था वर्ल्ड नेचुरल डेमोक्रेसी (डब्ल्यूएनडी) के तत्वावधान में ‘नेचुरल डेमोक्रसी’ संकल्पना के दस वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर इसका दशकीय अधिवेशन यहां संपन्न हुआ। 

अखिल भारतीय मैथिली साहित्य परिषद् के परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ तालाब बचाओ अभियान के संयोजक नारायण जी चौधरी के स्वागत भाषण से हुआ। 

नेचुरल डेमोक्रेसी की अवधारणा को लेकर आगे आने वाले दार्शनिक डॉ.जावैद अब्दुल्लाह ने अपनी पुस्तक के कुछ अंश का पाठ करते हुए कहा कि ब्रैंडर मैथ्यूज़ ने अपनी किताब अमेरिकन चार्टर(1906) में ग्रहीय चेतना के विषय में कहा था कि मनुष्य पृथ्वी ग्रह के समाज का वैसा ही सदस्य है, जैसा कि वे अपने राष्ट्र, प्रान्त, ज़िले, द्वीप, शहर या गाँव का सदस्य है।

उन्होंने इतिहासकार युवाल नोआ हरारी के शब्दों का हवाला देते हुए कहा कि सब कुछ इस पर निर्भर करता है,कि हम क्या चुनते हैं और मुझे उम्मीद है,कि हम राष्ट्रवादी प्रतिस्पर्धा नहीं वैश्विक एकजुटता चुनेंगे ।

कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के पूर्व कुलपति प्रो. देव नारायण झा ने कहा कि प्रकृति सांख्य, न्याय आदि दर्शन में भिन्न रूपों में सन्दर्भित है। इसके हर रूप को सुरक्षित करने की आवश्यकता है।महोपनिषद्, अध्याय 6, मंत्र 71 को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि “अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैवकुटुम्बकम्।  

डब्ल्यूआईटी के पूर्व निदेशक प्रो. एम. नेहाल ने चार्ल्स डार्विन और फ़्रेंक फैनर की चर्चा करते हुए कहा कि नेचुरल डेमोक्रसी को हमें आज क्यों अपनाने की ज़रुरत महसूस हो रही है। हम सबको सार्वभौमिक दृष्टि और ऐसी नवीन सम्भावना की समझ अपने अन्दर विकसित करने की ज़रूत है, जो जग में जीवन की स्वतंत्रता और जीवन में जगत की निर्भरता, दोनों को बराबर महत्त्व दे।

देश के जाने माने शिक्षाविद एवं पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा ने कहा कि मानव के अनियंत्रित व्यवहार के चलते एक सीमा ऐसी भी आ सकती है, कि हमें कहना पड़ जाये, जहाँन है तो जान है। आज कहीं न कहीं मानवता इसी सीमा के निकट आ चुकी है । 

भारत-नेपाल कमला मैत्री मंच के संयोजक अजीत कुमार मिश्र ने इस अधिवेशन का संचालन करते हुये कहा कि पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिसे जीवन का समर्थन करने के लिए जाना जाता है। इसे सुरक्षित करने की आवश्यकता है। 

बाल कल्याण समिति की पूर्व सदस्या इन्दिरा कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रकृति के लिये कार्य करने की प्रतिबद्धता दोहरायी। पृथ्वी ग्रह को संविधान की प्रस्तावना में शामिल करने और प्रकृति संरक्षण-संकल्प को प्रस्तावना में जोड़ने के प्रस्ताव को यूएनओ एवं पीएमओ भेजने के प्रस्ताव पर विचार हुआ। 

इस अवसर पर सक़लैन, क़िबलतैन, प्रकाश बन्धु, अंकित, सुभाष, डॉ. बाबर ख़ान, डॉ यासिर सज्जाद, रमेश, डॉ. मणिशंकर झा, साजिद अब्दुल्लाह, मो. तासीम नवाब, आशीष एवं गौरी बाबू उपस्थित थे। एल.एस.

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