पृथ्वी की हर पांचवीं प्रजाति का घर
सर्वेक्षण से पता चला है कि यह स्थल पौधों की 75,000 प्रजातियों और स्तनधारी जीवों के साथ-साथ पक्षियों, मछलियों, सरीसृपों और उभयचर जीवों की 30,000 से अधिक प्रजातियों को आश्रय प्रदान करते हैं।
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नई दिल्ली। (आरएनआई) दुनिया में विश्व धरोहर स्थल जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनकी उपयोगिता इसी बात से साबित होती है कि यह धरती की हर पाचवीं प्रजाति का घर हैं इसलिए इनका संरक्षण आवश्यक है।
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर(आईयूसीएन) और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन( यूनेस्को) द्वारा किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि भले ही यह विश्व धरोहर स्थल पृथ्वी के केवल एक फीसदी हिस्से पर मौजूद हैं, लेकिन वे दुनिया की 20 फीसदी से ज्यादा ज्ञात प्रजातियों का घर भी हैं। अध्ययन में शामिल 1,157 संरक्षित स्थल जिनमें चीन की दीवार से लेकर ग्रेट बैरियर रीफ और भारत में पश्चिमी घाट जैसे प्राकृतिक स्थल शामिल हैं। भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत शृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं। दक्कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय शृंखला उत्तर से दक्षिण की तरफ 1,600 किमी लंबी है। विश्व में जैविकीय विवधता के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है और इस दृष्टि से विश्व में इसका 8वां स्थान है। विश्व के यह प्राकृतिक धरोहर स्थल कई अलग-अलग पारिस्थितिक तंत्रों को कवर करते हैं।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों पर किए अपनी तरह के इस पहले सर्वेक्षण से पता चला है कि यह स्थल पौधों की 75,000 प्रजातियों और स्तनधारी जीवों के साथ-साथ पक्षियों, मछलियों, सरीसृपों और उभयचर जीवों की 30,000 से अधिक प्रजातियों को आश्रय प्रदान करते हैं। यूनेस्को की इन वैश्विक धरोहरों में करीब 20,000 ऐसी प्रजातियां भी रह रही हैं जिनके विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।
पेड़-पौधों की 18130 प्रजातियां, 593 स्तनधारी, 682 पक्षी, 615 मीठे पानी की मछलियां, 471 उभयचर और सरीसृपों की 400 प्रजातियां शामिल हैं। ये प्राकृतिक धरोहर स्थल दुनिया में बाकी बचे करीब एक तिहाई हाथी, बाघ और पांडा का घर हैं। इतना ही नहीं यह स्थल कम से कम 10 प्रतिशत जिराफ, शेर और गैंडों को भी आश्रय देते हैं।
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