'पूर्वी लद्दाख से भारत-चीन के सैनिक व्यवस्थित तरीके से हट रहे पीछे', चीनी विदेश मंत्रालय का दावा
भारत और चीन के बीच इस साल 21 अक्तूबर को हुए समझौते के तहत पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए दोनों देश राजी हो गए। इस समझौते के बाद अब चीन की सेना उन इलाकों से पीछे हटेगी जहां उसने अतिक्रमण किया था।
बीजिंग (आरएनआई) भारत और चीन की तरफ से सीमा पर तनाव कम करने के लिए एक समझौते पर पहुंचने के एक हफ्ते के भीतर ही दोनों देशों की सेनाओं ने पीछे हटना शुरू कर दिया है। चीन ने बुधवार को कहा कि चीनी और भारतीय सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी से संबंधित प्रस्तावों को व्यवस्थित तरीके से लागू कर रही हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने सैनिकों की वापसी की प्रगति के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चीन और भारत सीमा से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कोई भी जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा, 'फिलहाल, चीनी और भारतीय सीमा पर तैनात सैनिक व्यवस्थित तरीके से प्रस्तावों को लागू कर रहे हैं।
भारत और चीन के बीच हुए इस अहम समझौते के बाद दोनों देशों ने दो अक्तूबर को पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचौक में टकराव वाले दो बिंदुओं पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू की थी। पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत के बाद से पूर्वी लद्दाक में एलएसी पर डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया का मतलब सैनिकों की वापसी से होता है। भारतीय सेना के अधिकारी देपसांग और डेमचौक में इस डिसइंगेजमेंट पर नजर रख रहे हैं। इन सब के बीच डेमचौक में दोनों ही तरफ से अभी तक कई टेंट हटाए जा चुके हैं। हालांकि, ये प्रक्रिया अब पूरी कर ली गई है।
पूर्वी लद्दाख में सात ऐसे पॉइंट हैं, जहां चीन के साथ टकराव की स्थिति रहती है। ये हैं पेट्रोलिंग पॉइंट 14 यानी गलवान, 15 यानी हॉट स्प्रिंग, 17A यानी गोगरा, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण छोर, डेपसांग प्लेन और डेमचॉक में चारदिंग नाला हैं, जहां तनाव रहता है।अप्रैल 2020 में चीन ने एक सैन्य अभ्यास के बाद पूर्वी लद्दाख के 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था। 2022 तक चार इलाकों से चीन की सेना पीछे हट गई।
दौलत बेग ओल्डी और डेमचॉक पर भारतीय सेना को पेट्रोलिंग नहीं करने दी जा रही थी। अप्रैल 2020 से पहले सैन्य अभ्यास के नाम पर चीनी सेना हजारों की तादाद में सीमा पर जमा हो गई। जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने भी तैनाती की। जून 2020 में गलवान में चीनी सैनिकों और भारतीय जवानों के साथ खूनी झड़प हुई। इस दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए। जबकि चीन के इससे भी दोगुनी संख्या में सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने सिर्फ तीन सैनिकों के मारे जाने की बात मानी थी। फिर कई दौर की बातचीत के बाद सितंबर 2022 में गोगरा और हॉट स्प्रिंग पर डिसएंगेजमेंट की सहमति बन चुकी थी, जिसके तहत चीन की सेना वहां से पीछे हट गई थी। फिर दो अहम पॉइंट डेपसांग, डेमचॉक बचे रह गए थे। इनपर 21 अक्तूबर को डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी है। और डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है।
भारत और चीन के बीच 21 अक्तूबर 2024 के बीच हुए समझौते के तहत पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए दोनों देश राजी हो गए। इस समझौते के बाद अब चीन की सेना उन इलाकों से पीछे हटेगी जहां उसने अतिक्रमण किया था। इस समझौते को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्त्री ने बताया था कि सीमा से लगने वाले इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। अब इस समझौते के तहत ही दोनों देश कदम उठाएंगे।
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