पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, याचिका ख़ारिज, MP-MLA कोर्ट में चलेगा केस
जबलपुर (आरएनआई) मप्र उच्च न्यायालय की जबलपुर बेंच से पूर्व मंत्री और भाजपा नेता गौरीशंकर बिसेन को बड़ा झटका लगा है। HC ने बिसेन के खिलाफ लंबित मानहानि प्रकरण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग वाली गौरीशंकर बिसेन की याचिका ख़ारिज कर दी है। पन्ना जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष संजय नगायच को “पंडित तू चोर, बैंक अध्यक्ष चोर” है कहकर की थी मानहानि। पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन पर एमपी एमएलए (MP-MLA) कोर्ट ग्वालियर की फास्ट्रेक कोर्ट में धारा 500 के तहत केस चलेगा, 2 साल से ज्यादा सजा का है प्रावधान। टिप्पणी करते हुए HC ने कहा कि किसी जनप्रतिनिधि का सार्वजनिक अपमान और उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के गंभीर आरोप को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
दरअसल 2011 में पन्ना जिले के शासकीय दौरे के दौरान तत्कालीन सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन पर आरोप है कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से किसान सम्मेलन में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक पन्ना के तत्कालीन अध्यक्ष संजय नगायच को “पंडित तू चोर है” यह “बैंक अध्यक्ष चोर है” जैसे जाति सूचक शब्दों के साथ बैंक के अध्यक्ष संजय नगायच और उनके बोर्ड को भ्रष्टाचारी कहा था, इसका विरोध करने पर बाद में सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन के दबाव में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष संजय नगायच और उनके नेतृत्व वाले बोर्ड को भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर बर्खास्त कर दिया गया था।
जिसकी संजय नगायच ने हाई कोर्ट मध्य प्रदेश में अपील की थी, हाई कोर्ट ने सहकारिता विभाग के आर्डर को समाप्त कर बोर्ड को बहाल कर दिया तब सरकार ने तत्कालीन सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन एवं संजय नगायच से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता रखने वाले स्थानीय कृषि राज्य मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के दबाव में सुप्रीम कोर्ट में अपील की, सुप्रीम कोर्ट के आए ऐतिहासिक फैसले में संजय नगायच के ऊपर लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों को क्लीन चिट देते हुए बोर्ड को बहाल किया और मध्य प्रदेश सरकार पर एक लाख की कास्ट लगाई थी उसके बाद संजय नगायच द्वारा मंत्री गौरीशंकर बिसेन, ब्रजेंद्र प्रताप सिंह और अधिकारियों के विरुद्ध मानहानि सिविल एवं क्रिमिनल धाराओं में अलग-अलग जिला न्यायालय पन्ना में प्रकरण दर्ज कराया था।
जिला न्यायालय के फैसले पर पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट से स्टे ले रखा था और केस को समाप्त किए जाने हेतु धारा 482 की याचिका दायर की थी जिस पर न्यायाधीश संजय द्विवेदी की कोर्ट ने अंतिम फैसला देते हुए उनकी याचिका को खारिज कर उनके विरुद्ध प्रकरण को गंभीर मानते हुए कहा है किसी जनप्रतिनिधि का सार्वजनिक अपमान जाति सूचक टिप्पणी को कोर्ट नजर अंदाज नहीं कर सकती है, इसलिए गौरी शंकर बिसेन की याचिका खारिज की जाती है, अब यह प्रकरण एमपी एमएलए की फास्ट्रेक कोर्ट ग्वालियर में चलेगा। गौरी शंकर बिसेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त और संजय नगायच की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण दुबे द्वारा पैरवी की गई ।
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