पूर्व कैबिनेट मंत्री व राघौगढ़ विधायक महाराज जयवर्द्धन सिंह का नर्सिंग घोटाले पर बयान
भोपाल (आरएनआई) मध्य प्रदेश के चर्चित नर्सिंग महाघोटाले में वर्तमान में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर 13 लोगों की गिरफ़्तारी हुई है जिनमें से 2 इंस्पेक्टर रैंक के अफ़सर है जो CBI की तरफ़ से इस केस की जाँच कर रहे थे। साथ ही कुछ नर्सिंग कॉलेज के संचालक भी गिरफ़्तार हुए है। उन्में से 2 आरोपी मलय नर्सिंग कॉलेज भोपाल के है।
नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा के कारण मलय नर्सिंग कॉलेज को वर्ष 20-21 के सेशन के लिए संबद्धता ना मिलने के कारण अमान्य घोषित कर दिया था, इस टेबल में आप देख सकते है 25/11/2022 तक मलय नर्सिंग कॉलेज अमान्य था।
तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग जी की अध्यक्षता में मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति एवं अन्य अधिकारियों के साथ 14/12/2022 को समीक्षा बैठक आयोजित होती है। अगले दिन मंत्री जी के कार्यालय से कुलपति को पत्र में चौथे बिंदु में लिखा जाता है कि जिन नर्सिंग कॉलेजों को वर्ष 19-20, 20-21 और 21-22 में संबद्धता नहीं मिली है उन पर पुनर्विचार कर समय सीमा में करवाई करने का आदेश दिया जाता है।
ठीक एक हफ़्ते बाद विश्वविद्यालय की बैठक आयोजित की जाती है जिसमें कुलपति मंत्री जी की बैठक का उल्लेख करके मलय नर्सिंग कॉलेज, प्रज्ञाराज कॉलेज ऑफ नर्सिंग और निशा इंस्टिट्यूट ऑफ़ नर्सिंग साइंस एंड को संबद्धता हेतु मान्य कर देते है।
मलय नर्सिंग कॉलेज के दोनों संचालक गिरफ़्तार है, प्रज्ञाराज और निशा इंस्टिट्यूट को माननीय उच्च न्यायालय ने अनसुटेबल घोषित कर दिया है।
अभी तक इस घोटाले में सिर्फ़ रिश्वत देने वाले और दो जाँच अधिकारी पकड़े गये है, लेकिन मूल प्रश्न इस बात का है कि जिन बड़े लोगों ने दलालों के माध्यम से पैसा लेकर फ़र्ज़ी कॉलेजों को संबद्धता और मान्यता दी है उन पर करवाई कब होगी?
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