पूर्व IAS अधिकारी वीके पांडियन ने थामा BJD का दामन
ओडिशा के पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन ने बीजेडी का दामन थामा हेै। भुवनेश्वर स्थित सीएम आवास पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की मौजूदगी में उन्हें पार्टी में शामिल किया गया। बता दें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से पूर्व पांडियन नवीन पटनायक के निजी सचिव थे।
भुवनेश्वर, (आरएनआई) भारतीय प्रशासिक सेवा से इस्तीफा देने के बाद उड़ीसा के पूर्व आईएएस वीके पांडियन अपनी राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने जा रहे है। भुवनेश्वर में वीके पांडियन ने बीजेडी का दामन थामा है। जिसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से पहले वीके पांडियन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव के तौर पर कार्यरत थे। अक्तूबर माह में इस्तीफा स्वीकार होने के बाद वीके पांडियन को राज्य सरकार की 5टी (परिवर्तन पहल) और नवीन ओडिशा योजना के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। सोमवार सुबह भुवनेश्वर में वीके पांडियन बीजेडी में शामिल हो गए। इस दौरान ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी मौजूद रहे, उनके आवास पर उन्हें पार्टी में शामिल किया गया।
बीजेडी में शामिल होने पर पार्टी नेता अमर पटनायक ने कहा, वीके पांडियन के आने से पार्टी मजूबत होगी साथ ही इससे पूरे राज्य को लाभ होगा। राज्य के मुख्यमंत्री की तरह वे भी राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। पांडियन के पार्टी में शामिल होने से विकास कार्यों में तेजी आएगी। ऐसा कुछ नहीं है कि केवल इन्हें 2024 को देखते हुए शामिल किया गया है। सीएम का दीर्घकालिक दृष्टिकोण है। ओडिशा की जनता चाहती है कि मुख्यमंत्री अपने विजन को पूरा करें, पांडियन के रूप में हमें एक सक्षम सहयोगी मिलें।
2000 बैच के पांडियन ने अपने करियर की शुरुआत 2002 में कालाहांडी जिले के धर्मगढ़ के उप-कलेक्टर के रूप में की थी। 2005 में उन्हें मयूरभंज जिले का कलेक्टर नियुक्त किया गया। 2007 में उन्हें गंजम का कलेक्टर बनाया गया। गंजम में नियुक्ति के दौरान ही वे मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी बन गए। बता दें, पटनायक मूल रूप से गंजम जिले के रहने वाले हैं।
2019 में पांडियन को सरकारी विभागों में नए पहल लागू करने के लिए 5T सचिव की जिम्मेदारी दी गई थी। भाजपा और कांग्रेस ने इस कारण विरोध किया था और कहा था कि वह पद से इस्तीफा दे दें और आधिकारिक रूप से बीजद में शामिल हो जाएं। इस दौरान पांडियन राज्य भर में ढेरों दौरे किए और जनता की शिकायत सुनने के लिए ताबड़तोड़ 190 बैठकें की थीं।
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