पूजा स्थल अधिनियम: सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक ढांचों के सर्वे पर लगाई रोक
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि यह कानून स्पष्ट रूप से पूजा स्थलों के स्वरूप को लेकर किसी भी तरह के मुकदमे दायर करने पर रोक लगाता है और जब तक कोर्ट इस कानून की वैधता पर फैसला नहीं करता, तब तक इन मुकदमों को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि देशभर की निचली अदालतों को किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप को लेकर विवाद में अंतिम फैसला नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक 1991 के पूजा स्थल कानून का कानूनी आधार स्पष्ट नहीं हो जाता, तब तक इस तरह के मुकदमे नहीं चलाए जा सकते।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि यह कानून स्पष्ट रूप से पूजा स्थलों के स्वरूप को लेकर किसी भी तरह के मुकदमे दायर करने पर रोक लगाता है और जब तक कोर्ट इस कानून की वैधता पर फैसला नहीं करता, तब तक इन मुकदमों को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।
इस कानून को 1991 में लागू किया गया था और सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में अयोध्या मामले में इस कानून का भी जिक्र किया था। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामले इस समय कोर्ट में लंबित है, इसलिए हम यह आदेश देते हैं कि नया मुकदमा दायर नहीं किया जाएगा और पहले से चल रहे मुकदमों में भी कोई अंतिम आदेश नहीं दिया जाएगा।
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