‘पूजा खेडकर को दिव्यांगता प्रमाण पत्र देने में कोई लापरवाही नहीं’, आंतरिक जांच के बाद अस्पताल का दावा

वर्ष 2022 के अगस्त महीने में यशवंत राव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल द्वारा आईएएस पूजा खेडकर को दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया था। आपको बता दें कि खेडकर पर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए फर्जी दस्तावेज दिखाने का आरोप है।

Jul 24, 2024 - 18:00
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‘पूजा खेडकर को दिव्यांगता प्रमाण पत्र देने में कोई लापरवाही नहीं’, आंतरिक जांच के बाद अस्पताल का दावा

पुणे (आरएनआई) प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के मामले में रोजाना नई नई बातें सामने आ रहीं हैं। आपको बता दें कि पुणे के एक अस्पताल ने पूजा खेडकर को सात फीसदी दिव्यांगता वाला लोकोमोटर प्रमाण पत्र दिया था। अब एक बार फिर से अस्पताल प्रमाण पत्र को लेकर आंतरिक जांच की है। अस्पताल के एक अधिकारी का कहना है कि प्रमाण पत्र नियमानुसार दस्तावेज जमा किए गए थे। उन्होंने आगे कहा कि प्रमाण पत्र को जारी करने में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई। 

वर्ष 2022 के अगस्त महीने में यशवंत राव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल द्वारा खेडकर को दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया था। आपको बता दें कि पूजा खेडकर पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए फर्जी दस्तावेज दिखाने का आरोप है। यूपीएससी द्वारा पूजा खेडकर से जुड़े दस्तावेजों की जांच की जा रही है। वर्ष 2022 में पूजा खेडकर ने अपने बाएं घुटने के जोड़ के संबंध में दिव्यांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। इस दौरान उन्होंने चव्हाण मेमोरियल अस्पताल में आवेदन दाखिल किया था। अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि उसी वर्ष 24 अगस्त को प्रमाण पत्र जारी किया गया था, जिसमें दावा किया गया था पूजा खेडकर का बायां घुटना सात फीसदी दिव्यांगता की श्रेणी में आता है।

इससे पहले जिलाधिकारी कार्यालय की तरफ से अस्पताल के डीन, डॉक्टर राजेन्द्र वाबले को एक नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में पूजा खेडकर को जारी किए प्रमाण पत्र की आंतरिक जांच करने के निर्देश दिए गए थे। यह भी कहा गया था कि अगर प्रमाण पत्र जारी करने में लापरवाही की बात सामने आई तो पुलिस में मामला दर्ज किया जाएगा।

डॉक्टर वाबले ने कहा, ‘पिछले सप्ताह हमें पुणे जिलाधिकारी कार्यालय की तरफ से नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद हमने अस्पताल के ऑर्थोपैडिक और फिजियोथैरेपी विभाग की आंतरिक जांच की। जांच में पाया गया है कि सात फीसदी दिव्यांगता वाला प्रमाण पत्र नियमानुसार जारी किया गया था।’ उन्होंने आगे कहा कि यह प्रमाणपत्र शिक्षा या नौकरी में किसी भी तरह की सुविधा प्राप्त करने में कोई मदद नहीं करेगा। डॉक्टर वाबले के अनुसार, ‘हमारी जांच में किसी भी तरह की लापरवाही के लिए कोई दोषी नहीं पाया गया।’

साथ ही पूजा खेडकर ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में रियायत पाने के लिए खुद के दिव्यांग होने का दावा किया था, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए होने वाली जरूरी चिकित्सा जांच में पूजा खेडकर शामिल नहीं हुईं थी। उन पर बाहर से कराई गई चिकित्सा जांच रिपोर्ट संघ लोक सेवा आयोग को देने का आरोप है। पूजा खेडकर विवादों में तब आईं, जब ट्रेनी आईएएस के तौर पर पुणे में काम करने के दौरान उन पर निजी ऑडी कार पर नीली-लाल बत्ती लगाकर चलने का आरोप लगा। साथ ही उन्होंने अलग घर और कार की भी मांग की, लेकिन ये विशेषाधिकार जूनियर अधिकारियों को उपलब्ध नहीं है।

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