पुलिस चौकी में इशरू की हत्या के मामले में चार माह बाद तीन आरक्षकों, एक होमगार्ड सैनिक और एक प्राइवेट आदमी पर एफआईआर दर्ज
मजिस्ट्रीज इंक्वायरी रिपोर्ट को नही किया इंतजार, सीएसपी की जांच रिपोर्ट पर मामला हुआ दर्ज, हत्याकांड के अहम सवालों और आरोपों पर जांच में सामने नहीं आया कोई निष्कर्ष
गुना। जिले के केंट थाने की कुसमोदा पुलिस चौकी में हुए इजराइल उर्फ इशरू हत्याकांड में अंततः तीन पुलिस कर्मियों, 1 होमगार्ड सैनिक तथा एक प्राइवेट व्यक्ति समेत 5 आरोपियों के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है। ज्यूडिशियल इंक्वायरी की रिपोर्ट आने से पहले ही सीएसपी द्वारा की गई जांच रिपोर्ट पर रविवार को पुलिस थाना केंट में एफआईआर कायम की गई। हालांकि इस जांच रिपोर्ट में घटना को छुपाने में संदिग्ध भूमिका निभाने वाले पुलिसकर्मियों को लेकर कोई निष्कर्ष सामने नहीं आया है।
घटना 22 नवम्बर 2022 को घटित हुई थी। इस दिन गोकुल सिंह का चक गुना के निवासी 35 वर्षीय इजराइल उर्फ इशरू पुत्र मुनव्वर खान को बेहद संदिग्ध हालातों में मृत अवस्था में जिला चिकित्सालय लाया गया था। सूचना मिलने पर मृतक के परिजन और रिश्तेदार अस्पताल पहुंच गए और उन्होंने पुलिस पर पैसों के लेनदेन के आरोप लगाते हुए, पुलिसकर्मियों द्वारा इशरु खान को कुसमोदा चौकी में ले जाकर हत्या करने के आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया था। इसके अगले दिन परिजनों ने इशरू के पीएम को लेकर सवाल खड़े किए थे। इससे पहले मामले की गंभीरता को देखते हुए ज्यूडिशियल इंक्वायरी बैठा दी गई थी। जेएमएफसी मोहित श्रीवास्तव ने खुद इशरू के शव को देखा था। बताया जाता है कि मामले की गंभीरता को समझते हुए पोस्टमार्टम करने वाली टीम ने विस्तृत अटोप्सी रिपोर्ट लिखी थी। जिसमें अन्य चोटों के साथ ही सिर में 4×6 सेमी गंभीर की गंभीर चोट होने का स्पष्ट उल्लेख था। हालांकि इतने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। इससे विरोध में उबाल खाए परिजनों ने हाई वे जाम कर दिया था। वरिष्ठ अधिकारियों की समझाइश के बाद जाम हटाया गया था।
इशरू की मौत को संदिग्ध मानकर थाना केन्ट में मर्ग कायम कर जांच में लिया गया। जिसकी जांच सीएसपी श्वेता गुप्ता ने की। सीएसपी ने जांच के दौरान इशरु के पिता मुनव्वर खान, भाई इमरा खान, बहन बानोबाई, माँ मुन्नीबाई एवं पड़ोसी सलीम खान से घटना के बारे में पूछताछ कर कथन लिए। कुसमोदा चौकी के बाहर लगे सीसीटीव्ही कैमरों की फुटेज एवं मिनट-टू-मिनट विवरण रिपोर्ट प्राप्त की गई है।
सीसीटीव्ही फुटेज में दिखाई दिया कि पुलिस कर्मियों द्वारा एक ऑटो रोका गया। उस ऑटो में से इसराईल को उतारकर चौकी के अंदर ले जाया गया था। जांच के दौरान आरक्षक हरिओम रघुवंशी, नवदीप अग्रवाल, रविन्द्र सोलंकी, शिवकुमार रघुवंशी, प्राण सिंह चावडीकर, होमगार्ड सैनिक लखन जाटव के अलावा सब इंस्पेक्टर रोड सिंह भिलाला, सब इंस्पेक्टर अरविंद गौर, निरीक्षक विनोद सिंह छावई आरक्षक शाहरूख खान तथा प्राइवेट व्यक्ति सद्दाम खान पुत्र मंजूदर खान निवासी बरवटपुरा के कथन भी लिये गये। साथ ही घटना वाले दिन के थाना कैन्ट के रोजनामचा, पीएम रिपोर्ट, ग्वालियर एफएसएल से प्राप्त विसरा रिपोर्ट और सागर एफएसएल से प्राप्त हिस्टोपेथोलजी रिपोर्ट को भी देखा गया।
सीएसपी श्वेता गुप्ता ने जाँच के दौरान इशरू का पीएम करने वाले डॉक्टर से उसकी मृत्यु के संबंध में फाईनल ऑपीनियन भी लिया जिसमें सिर की चोट से मृत्यु होना बताया।
जांच के बाद वारदात के समय पुलिस थाना केंट में पदस्थ रहे आरोपीगण आरक्षक रविन्द्र सोलंकी, शिवकुमार रघुवंशी तथा प्राण सिंह चावडीकर, होमगार्ड के सैनिक लखन जाटव एवं प्राइवेट व्यक्ति सद्दाम खान पुत्र मंजूर खान निवासी वरवटपुरा के द्वारा मृतक इसराईल उर्फ इसरू खान पुत्र मुनब्बर खान निवासी गोकुल सिंह का चक कैन्ट को कुसमोदा चौकी में अभिरक्षा में रखकर मारपीट करने का दोषी पाया गया। इस मारपीट से आई चोटों के कारण इसराईल खान की मृत्यु होना पाया गया। इन सभी आरोपियों के विरुद्ध धारा 302, 34 भादवि के तहत अपराध क्रमांक 185/2023 कायम किया गया है।
दरअसल, मृतक इशरू के परिजनों ने उस एफआईआर के सिलसिले में पुलिस पर पैसे मांगने का आरोप लगाया था जो कथित तौर पर पुलिसकर्मियों से हुई गाली गलौज के वीडियो वायरल होने के बाद दर्ज की गई थी। गुना के इतिहास में ये पहली घटना थी जिसमें एक ही घटना को लेकर दो अलग अलग एफआईआर दर्ज की गईं। 18 नवम्बर को थाना केंट में अपराध क्रमांक 888/22 पर पहली एफआईआर सद्दाम खान की तरफ से दर्ज कराई गई थी जिसमें आरोपियों में इशरू का नाम ही नहीं था। इसके बाद जैसे ही पुलिसकर्मियों से बदतमीजी के वीडियो वायरल हुए तो 19 नवंबर को आरक्षक रविंद्र सोलंकी को फरियादी बनाकर अपराध क्रमांक 893/22 पर एक और एफआईआर दर्ज कर ली गई थी जिसमें आरोपियों में इशरू और ओवेश खां के नाम भी लिखे गए थे। ये दोनों नाम सद्दाम की ओर से दर्ज एफआईआर में नही लिखे थे। इस दूसरी एफआईआर के चलते ही पुलिसकर्मियों ने इशरू के भोपाल इज्तिमा से ट्रेन स्टेशन पर उतरकर घर लौटते समय ऑटो से इशरू को उतारकर मारपीट कर हत्या के आरोप पुलिस पर लगे थे। पुलिस पर लगे इस आरोप पर जांच में कोई निष्कर्ष सामने नहीं आया है। इसी तरह जांच रिपोर्ट में घटना वाले दिन इशरू को ऑटो से उतार कर कुसमोदा चौकी में ले जाने का लेख तो है लेकिन उसे मारपीट के बाद मृत अवस्था में चौकी से बाहर कौन लाया और उसे किस वाहन से कहां ले जाया गया इसका उल्लेख नहीं है। इसी तरह इशरू को अस्पताल में मृत अवस्था में कहां से लाकर किसके द्वारा भर्ती कराया गया इस प्रश्न पर जांच में कोई निष्कर्ष अभी तक सामने नहीं आया है। थाना प्रभारी इस घटना के दौरान क्या कर रहे थे इस प्रश्न भी जांच मौन है। प्राइवेट आदमी सद्दाम खान को इतनी छूट किसने दी थी कि वह पुलिस चौकी में हुए इशरू की हत्या में आरक्षकों के साथ शामिल रहा।
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