पुडुचेरी में एक और बच्चा एचएमपीवी से संक्रमित, अस्पताल में इलाज जारी; पिछले हफ्ते सामने आया था पहला केस

पुडुचेरी में पिछले सप्ताह पहला एचएमपीवी का मामला सामने आया था, जिसमें एक तीन साल का बच्चा संक्रमित पाया गया था। उसका इलाज एक निजी अस्पताल में किया गया।

Jan 13, 2025 - 13:12
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पुडुचेरी में एक और बच्चा एचएमपीवी से संक्रमित, अस्पताल में इलाज जारी; पिछले हफ्ते सामने आया था पहला केस

पुडुचेरी (आरएनआई) पुडुचेरी में एक और बच्चा ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) से संक्रमति पाया गया। फिलहाल उसका जेआईपीएमईआर में इलाज जारी है। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। पुडुचेरी के स्वास्थ्य निदेशक वी. रविचंद्रन ने एक विज्ञप्ति में कहा कि बच्ची को बुखार, खांसी और नाक बहने की शिकायत थी। वह कुछ दिन पहले ही जेआईपीएमईआर में भर्ती हुई थी, फिलहाल उसका इलाज जारी है। उन्होंने बताया कि बच्ची ठीक हो रही है। सभी एहतियाती कदम उठाए गए हैं।

पुडुचेरी में पिछले सप्ताह पहला एचएमपीवी का मामला सामने आया था, जिसमें एक तीन साल की बच्ची संक्रमित पाई गई थी। उसका इलाज एक निजी अस्पताल में किया गया।  पूरी तरह से ठीक होने के बाद लड़की को शनिवार को छुट्टी दे दी गई। पुडुचेरी के स्वास्थ्य निदेशक ने कहा कि पुडुचेरी प्रशासन ने वायरस के संदर्भ में सभी कदम उठा लिए हैं।

ह्यूमन मोटान्यूमोवायरस, जिसे एचएमपीवी के छोटे नाम से भी जाना जाता है, इंसानों की श्वसन प्रक्रिया पर प्रभाव डालने वाला वायरस है। इसकी पहली बार पहचान 2001 में हो गई थी। तब नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया था। यह पैरामाइक्सोविरीडे परिवार का वायरस है। 

श्वसन संबंधी अन्य वायरस की तरह यह भी संक्रमित लोगों के खांसने-छींकने के दौरान उनके करीब रहने से फैलता है। 

कुछ स्टडीज में दावा किया गया है कि यह वायरस पिछले छह दशकों से दुनिया में मौजूद है। 

एचएमपीवी का किस पर और कितना असर?

यह मुख्य तौर पर बच्चों पर असर डालता है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और बुजुर्गों पर भी इसका प्रभाव दर्ज किया गया है। 

इस वायरस की वजह से लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार, कफ की शिकायत हो सकती है। ज्यादा गंभीर मामलों में गला और श्वांस नली के जाम होने से लोगों के मुंह से सीटी जैसी खरखराहट भी सुनी जा सकती है।

कुछ और गंभीर स्थिति में इस वायरस की वजह से लोगों को ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने वाली नली में सूजन) और निमोनिया (फेफड़ों में पानी भरना) की स्थिति पैदा कर सकता है। इसके चलते संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। 

चूंकि इसके लक्षण कोरोनावायरस संक्रमण और आम फ्लू से मिलते-जुलते हैं, इसलिए इन दोनों में अंतर बता पाना मुश्किल है। जहां कोरोनावायरस की महामारी हर सीजन में फैली थी। वहीं एचएमपीवी अब तक मुख्यतः मौसमी संक्रमण ही माना जा रहा है। कई जगहों पर इसकी मौजूदगी पूरे साल भी दर्ज की गई है।

कोरोना के इतर इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है।

सामान्य मामलों में इस वायरस का असर तीन से पांच दिन तक रहता है। 

2023 में एचएमपीवी के कई मामले नीदरलैंड, ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका और चीन में दर्ज किए गए हैं। बीजिंग की कैपिटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के यू'आन अस्पताल में श्वसन और संक्रामक रोग विभाग के मुख्य चिकित्सक ली तोंगजेंग के मुताबिक, मास्क पहनने, हाथों को लगातार धोने और प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने से बीमारी से राहत मिल सकती है।

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