पुडुचेरी को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की गूंजी मांग, एक बार फिर विधानसभा में प्रस्ताव पारित
यह पहला मौका नहीं है जब पुडुचेरी विधानसभा ने इस तरह का प्रस्ताव पारित किया हो। इससे पहले पुडुचेरी विधानसभा में कई बार प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार से पुडुचेरी को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की जा चुकी है।
पुडुचेरी (आरएनआई) पुडुचेरी को लंबे समय पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की गुहार लगाई जा रही है। इस सप्ताह के शुरुआत में एक बार फिर यहीं मांग विधानसभा में गूंजी। सदन ने इस मामले पर एक प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार से केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा देने की मांग की।
यह पहला मौका नहीं है जब पुडुचेरी विधानसभा ने इस तरह का प्रस्ताव पारित किया हो। इससे पहले पुडुचेरी विधानसभा में 15 बार प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार से पुडुचेरी को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की जा चुकी है। विधानसभा या लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जारी किए गए सभी राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि वे चेन्नई से लगभग 170 किलोमीटर दूर स्थित एक तटीय शहर पुडुचेरी को पूर्ण राज्य का दर्जा सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे।
सत्ता में आने वाली पार्टियों का तर्क है कि निर्वाचित सरकार के पास पूर्ण अधिकार न होना एक बड़ी बाधा रही है। उनका कहना है कि प्रादेशिक विधानसभा में विधेयक पेश करने के लिए भी केंद्र की सहमति आवश्यक है। सदन ने 14 अगस्त को राज्य के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें सभी दलों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था।
यहां एआईएनआरसी-भाजपा गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री एन रंगासामी राज्य का दर्जा देने की मांग पर जोर दे रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि पुडुचेरी की वर्तमान संवैधानिक स्थिति के तहत केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण निर्वाचित सरकार के फैसलों को शीघ्रता से लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि कई बाधाओं को दूर किया जाना है। उन्होंने हाल ही में कहा था कि केंद्र शासित सरकार को जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, उसका एकमात्र समाधान पुडुचेरी को पूर्ण राज्य का दर्जा देना है।
पुडुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी नारायणसामी ने बताया कि अलग राज्य का दर्जा मिलना वाकई में जरूरी है और उन्होंने इस उद्देश्य के प्रति अपनी पार्टी के समर्थन को दोहराया। उन्होंने कहा कि इस बात की कोई आशंका नहीं है कि राज्य का दर्जा मिलने की स्थिति में केंद्र शासित प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने आगे कहा, 'पुडुचेरी के बजट में केंद्र का हिस्सा और राज्य का योगदान पर्याप्त रूप से उपलब्ध होगा। योजना बनाने और धन खर्च करने में समझदारी होनी चाहिए। राज्य सरकार को बिजली और वाणिज्यिक कर विभागों द्वारा करों की वसूली सुनिश्चित करनी चाहिए। पंजीकरण विभाग के अलावा ये दोनों विभाग सरकार के राजस्व के मुख्य स्रोत हैं। सरकार को बड़े बिजली उपभोक्ताओं और वाणिज्यिक कर का भुगतान करने वालों से बकाया वसूलने में अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।'
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्य अक्सर इस बात की ओर इशारा करते हैं कि राज्य का दर्जा न मिलना सरकार के अपने निर्णयों को लागू करने में बाधा बन रहा है।
दरअसल, विशेष परिस्थितियों में ही केंद्र शासित प्रदेश का गठन किया जाता है। भौगोलिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और जनकल्याण को देखते हुए ही केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाते हैं। पुडुचेरी पर लंबे समय तक फ्रांस का शासन रहा। आखिरकार यह 1 नवंबर 1954 को फ्रांसीसी शासन से मुक्त हुआ। साल 1963 में पेरिस में फ्रांसीसी संसद द्वारा भारत के साथ संधि की पुष्टि के बाद पुडुचेरी आधिकारिक रूप से भारत का अभिन्न अंग बन गया और इसी वर्ष इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
गणतंत्र दिवस 1955 में पहली बार राजपथ पर पुडुचेरी की झांकी निकली थी
स्वतंत्रता के बाद देश के पुडुचेरी और गोवा में स्थानीय लोगों ने कई राष्ट्रीय सेनानियों के नेतृत्व में आजादी और भारत में विलय की मांग की। लंबे जन आंदोलनों और संघर्षों के बाद 18 अक्टूबर, 1954 को सीमावर्ती गांव किजूर में हुए जनमत संग्रह के परिणामस्वरूप पुडुचेरी और इसके बाहरी इलाके कराईकल, माहे और यनम का भारतीय संघ में विलय हो गया। साल 1955 के गणतंत्र दिवस में पहली बार दिल्ली में राजपथ पर पुडुचेरी की झांकी शामिल की गई थी।
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