पीडब्ल्यूडी: मौत के बाद मिला बहाली का आदेश

Apr 8, 2023 - 15:00
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पीडब्ल्यूडी: मौत के बाद मिला बहाली का आदेश

सागर/भोपाल। पीडब्ल्यूडी यानी लोक निर्माण विभाग के एक उपयंत्री हजारीलाल पटेल की 5 अप्रैल 2023 को हृदयाघात से मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि हजारीलाल फरवरी माह में निलंबित किए जाने के बाद से काफी परेशान थे और मानसिक तनाव में रहते थे। परिजनों ने पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस पूरे मामले में हैरत की बात यह है कि हजारीलाल को निलंबन से बहाली का आदेश उनकी मौत के बाद परिजनों को मिला।

लोक निर्माण विभाग में कुछ दिन पूर्व ही पदस्थ हुए प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह ने प्रदेश में गुणवत्ता को परखने के लिए अभियान चालू किया और अलग-अलग टीमें बनाकर प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर छापामार कार्रवाई कर कार्य की गुणवत्ता चेक करने की परंपरा शुरू की। 9 फरवरी को चीफ इंजीनियर के नेतृत्व में भोपाल से आई टीम ने पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के गृह जिले सागर के कार्यों का निरीक्षण किया जिसमें रानगिर पहुंच मार्ग में जब सड़क का परीक्षण किया गया तो डामर की मोटाई 11 से 12 mm पाई गई जो मानक के अनुसार 20 mm होनी थी। इस कार्य की गुणवत्ता में लापरवाही बरतने के आरोप में हजारी लाल पटेल सब इंजीनियर को,जो रैली उप संभाग में पदस्थ थे, निलंबित कर दिया गया।

पटेल के परिजनों का आरोप है कि यह पूरी कार्रवाई दुराग्रह से ग्रसित होकर की गई और जब बाद में पटेल ने स्वयं पूरी सड़क का निरीक्षण करा कर उसकी वीडियोग्राफी कर अधिकारियों को दी तो वे भी इस बात से संतुष्ट थे कि सड़क गुणवत्तापूर्ण बनाई गई है। 45 दिन बीतने के बाद भी जब पटेल को आरोप पत्र नहीं दिया गया तो उन्होंने अधिकारियों से गुहार की कि उनका निलंबन बहाल किया जाए।

लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। परिजन कहते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद पटेल काफी अवसाद में चले गए क्योंकि पूरे जीवन में उन्हें कभी नोटिस या निलंबन का सामना नहीं करना पड़ा था। 4 अप्रैल को वो भोपाल आए और अपने साथ दो लाख रुपये भी लेकर आए। उनके परिजनों का कहना है कि उन्होंने कहा था कि ये पैसे ऊपर देने है। इसी बीच जब वे भोपाल के एक होटल में रुके थे, उन्हें रात में 3 बजे सीने में दर्द हुआ। सागर में उन्होंने अपने परिजनों को सूचित किया और एलबीएस अस्पताल में भर्ती हो गए जहां 5 अप्रैल को सुबह 9 बजे उनकी मौत हो गई।

अब इस पूरे मामले में सबसे संदेहास्पद बात यह है कि पटेल को निलंबन से बहाली का आदेश कार्यालय प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग से 5 अप्रैल को डिस्पैच हुआ यानी उनकी मौत के बाद। हालांकि इस पर इंजीनियर नरेंद्र कुमार, जो प्रमुख अभियंता हैं, उनके 4 तारीख के हस्ताक्षर हैं मतलब साफ समझा जा सकता है कि पटेल की मौत के बाद आनन-फानन में हड़बड़ा विभाग ने उनको बहाल करने के आदेश दिए गए। 

पटेल के परिजन उनकी मौत के बाद सागर जिले के मकरोनिया थाने में पहुंचे और उन्होंने पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई का आवेदन दिया जो पुलिस ने नहीं लिया और बाद में परिजनों ने यह आवेदन एसपी सागर को दिया है।

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