पीएम जस्टिन ट्रूडो बोले- कनाडा ट्रंप की धमकी से झुकेगा नहीं, टैरिफ पर आर्थिक नुकसान को तैयार
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद कनाडा के कार्यकारी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि ट्रंप को उनके फैसले से पीछे हटाने के लिए कनाडा आर्थिक नुकसान उठाने को तैयार है।
ओटावा (आरएनआई) डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद अमेरिका के दूसरे देशों के रिश्ते कैसे रहेंगे? यह बड़ा सवाल है। पड़ोसी राज्य कनाडा को अमेरिका का अंग बनाने जैसे बयान दे चुके ट्रंप को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका की तरफ से टैरिफ लगाने की धमकी पर पीएम ट्रूडो ने कहा है कि वे आर्थिक नुकसान उठाने को तैयार हैं। ट्रंप के शपथ ग्रहण से दो सप्ताह पहले 6 जनवरी को पीएम पद से इस्तीफा दे चुके ट्रूडो ने वादा किया है कि उनका देश बहुत मजबूती के साथ अमेरिका को जवाब देगा।
क्यूबेक के मोंटेबेलो में मंगलवार को एक विशेष कैबिनेट बैठक के दौरान, ट्रूडो ने कहा कि वे ट्रंप के इस कदम से बेफिक्र हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप के साथ काम करते समय उन्हें काफी 'अनिश्चितता' की उम्मीद है। ट्रूडो ने आगे कहा कि ट्रंप एक कुशल वार्ताकार हैं और वे अपने वार्ता भागीदारों को थोड़ा असंतुलित रखने के लिए जो कुछ भी करते हैं, करेंगे। हालांकि, ट्रूडो ने यह भी स्पष्ट किया कि विदेश नीति के मामले में कनाडा भी अपने हितों की रक्षा और प्रभावी तरीके से अपना पक्ष रखने में सक्षम है। वह ट्रंप को टैरिफ के फैसले से पीछे हटाने के लिए अमेरिका को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए भी तैयार हैं।
ट्रूडो ने आगे कहा कि कनाडा का मुख्य लक्ष्य प्रस्तावित अमेरिकी टैरिफ से बचना है और अमेरिका के साथ एक सकारात्मक संबंध को बढ़ावा देना है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि कनाडा ट्रंप की धमकियों के सामने झुकने वाला नहीं है।
ट्रंप के इस बयान के बावजूद कि उन्हें कनाडा से कुछ नहीं चाहिए, ट्रूडो ने कहा कि अगर ट्रंप अमेरिका की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा करने के लिए तेल, लकड़ी, स्टील, एल्यूमीनियम और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे कनाडाई प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता होगी। ट्रूडो ने कहा कि इससे कनाडा को कुछ लाभ मिलेगा।
ट्रंप ने कनाडा व मेक्सिको पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान किया है। यह एक फरवरी से लगाया जा सकता है। ट्रंप ने कहा कि यह जरूरी है, क्योंकि इन देशों से बड़ी संख्या में लोग अमेरिका आ रहे हैं। यही नहीं, ब्रिक्स देशों को चेतावनी दी है कि अगर व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर की जगह कोई दूसरी मुद्रा लेकर आए, तो इन देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर की जगह कोई दूसरी मुद्रा लाने पर ट्रंप ने पहले भी चेतावनी दी थी। ट्रंप ने दिसंबर में कहा था कि हमें इन देशों से प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे। दस देशों के समूह में भारत के अलावा रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और यूएई हैं। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिसंबर में कहा था कि ब्रिक्स मुद्रा लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। भारत कभी भी डॉलर हटाने के पक्ष में नहीं रहा है।
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