पाकिस्तान लड़ाकू विमानों की मरम्मत भी कराने में अक्षम, बकाया न देने पर अमेरिकी कंपनी ने रोकी सप्लाई
पाकिस्तान में कंगाली के हाल ऐसे कि नहीं हो पा रही एफ-16 लड़ाकू विमानों की मरम्मत, युद्ध की स्थिति में किसी काम के नहीं रहेंगे ये जहाज। अमेरिकी कंपनी को नहीं किया है 3 लाख डॉलर से ज्यादा का भुगतान। कराची में बनाए जाने वाले विमान के उत्पादन पर भी पड़ने लगा व्यापक असर।
इस्लामाबाद (आरएनआई) गरीबी की मार झेल रहे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हालात किस कदर बदहाल हुए हैं इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वह अपने लड़ाकू विमानों की मरम्मत तक नहीं करा पा रहा है। ऐसी दशाओं में युद्ध के लिए तैयार रहने वाले पाकिस्तानी वायु सेवा के एफ-16 विमानों की पूरी की पूरी खेप एक तरह से अपंग हो गई है। हालात ऐसे बने जब पाकिस्तान ने एयरोनॉटिकल डिवीजन में अमेरिका स्थित कंपनी को जरूरी स्पेयर पार्ट्स के लिए गुजारिश भेजी तो कंपनी ने पहले बकाया भुगतान के लिए पाकिस्तान सरकार को ही चिट्ठी लिखकर उपकरणों की आपूर्ति ही ठप कर दी। ऐसे हालातों में पाकिस्तानी एयरफोर्स के हाथ पांव फूल गए। क्योंकि उनके पास अपने जहाज के इंजनों की मरम्मत के साथ-साथ बनाए जाने वाले जहाजों के वह आवश्यक स्पेयर पार्ट्स ही नहीं हैं, जिसके आधार पर उनके जहाज उड़ान भर सकें। जिम्मेदार महकमें ने पाकिस्तान सरकार को चिट्ठी लिखकर अपनी इस बदहाली और बकाया के भुगतान को लेकर अर्जी लगाई गई है। पाकिस्तान सरकार की ओर से बकाया भुगतान न करने पर अमेरिकी कंपनी ने पाकिस्तान सेना को डिलीवर किए जाने वाले अन्य जरूरी उपकरणों पर फिलहाल तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इस वजह से पाकिस्तान में बनाए जाने वाले जहाजों पर प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है। ऐसी दशाओं में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की वायु सेना के कमजोर होने के भी चर्चाएं होने लगी हैं।
पाकिस्तान एयर फोर्स की ओर से लड़ाकू विमान एफ-16 की देखरेख के लिए कराची स्थित मिराज रिबिल्ड फैक्ट्री ने एक चिट्ठी लिखी है। इस गोपनीय चिट्ठी में पाकिस्तान एयर फोर्स के लड़ाकू विमान एफ-16 के इंजन में आ रही जरूरत के स्पेयर पार्ट्स की कमी का जिक्र किया गया है। लिखी गई चिट्ठी में इस बात का उल्लेख है कि जब अमेरिकी कंपनी प्राइट एंड विटनी के साथ पाकिस्तान का करार है। इस करार के तहत लड़ाकू विमान के रख रखाव की पूरी जिम्मेदारी से लेकर जहाज के उत्पादन अमेरिका की इसी कंपनी की है। सूत्रों के मुताबिक, बीते कुछ समय से पाकिस्तान के लड़ाकू विमान की मरम्मत और उत्पादन के लिए जब इस कंपनी से संपर्क किया गया तो उसने पाकिस्तान में अपने आवश्यक स्पेयर पार्ट्स को और अन्य जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करने से मना कर दिया। यही नहीं जिन आवश्यक स्पेयर पार्ट्स की वजह से जहाज के उत्पादन की जरूरतें पूरी होती थीं, वह भी बकाया भुगतान न होने के चलते कंपनी ने रोक दिया है।
कंपनी की ओर से पाकिस्तान को भेजे गए रिमाइंडर में अपने पुराने तकरीबन तीन लाख अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की मांग कर डाली। क्योंकि पाकिस्तान को अपने एयरफोर्स के बेड़े में मौजूद एफ-16 लड़ाकू विमान को चाक-चौबंद रखने की हर वक्त आवश्यकता रहती है। लेकिन पाकिस्तान की बदहाली और गरीबी के चलते अमेरिकी कंपनी को यह भुगतान नहीं हो पा रहा है। नतीजतन पाकिस्तान की सेना में सबसे बड़ी जरूरत में से एक पर एक तरह से संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पाकिस्तान एयरोनॉटिकल के तकनीकी निदेशालय ने लचर वित्तीय परिसंपत्तियों के बावजूद भी पाकिस्तान सरकार को आगे लिखा है कि उनकी इस जरूरत को हर हाल में पूरा किया जाए। यानी जो बकाया भुगतान अमेरिकी कंपनी का है वह दिया जाए ताकि उनकी सेना में लड़ाकू विमानों की उपस्थिति बनी रह सके।
पाकिस्तान एयरोनॉटिकल डिवीजन ने अपनी मजबूरी इस कदर बताई है कि अगर उनके स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति बहाली नहीं हो सकी तो विमान के परिचालन में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यानी स्पष्ट तौर पर यह माना गया है कि उनके लड़ाकू विमानों के कल पुर्जों और उपकरणों की भारी कमी हो चुकी है। अगर यह लंबे समय तक चलता रहा तो पाकिस्तान सेना के लड़ाकू विमान खड़े होने की कगार पर आ जाएंगे। यही नहीं पाकिस्तान में लड़ाकू विमान की देखरेख करने वाली एजेंसी की ओर से कराची को अपने बकाया भुगतान को जल्द से जल्द करने के लिए कड़ा पत्र लिखा है।
अमेरिकी कंपनी ने पाकिस्तान में दी जाने वाली सेनाओं की सुविधाओं के बदले अपने पुराने बकाए की मांग का न सिर्फ पत्र लिखा है बल्कि प्रमुख उपकरणों की डिलीवरी पर रोक भी लगा दी है। इन उपकरणों की डिलीवरी की रोक लगाई जाने से पाकिस्तान सरकार से लेकर सेना में भी खलबली मच गई है। जानकारी के मुताबिक, अमेरिका की कंपनी पी एंड डब्ल्यू ने पुराने भुगतान में हो रही देरी और बार-बार रिमाइंडर दिए जाने के बाद अपनी कई प्रमुख डिलीवरी को रोक दिया है। सूत्रों के मुताबिक, जब अमेरिकी कंपनी ने इस तरीके का कड़ा फैसला लिया तो पाकिस्तान सरकार की ओर से कराची में बैठे जिम्मेदार महकमें ने उक्त कंपनी को फिर से पत्र लिखकर भरोसा दिलाया है कि वह उनका बकाया भुगतान कर देंगे। हालांकि पाकिस्तानी मामलों के जानकारों का मानना है कि इस वक्त जो आर्थिक हालात पाकिस्तान में हैं वह बहुत बदहाल हैं। सेंटर फॉर डेवलपमेंट एंड स्ट्रेटजी ऑफ एशिया पेसिफिक के उपनिदेशक डॉ. अखिल सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान के रुपए की कीमत लगातार अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरती जा रही है। महंगाई चरम पर है। विदेश से लिया गया कर्ज पाकिस्तान चुकाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान के सामने यह चुनौतियां तो आ ही रही हैं कि वह आखिर अपने बकाए का भुगतान कैसे करे।
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