पहलगाम हमले की कहानी, मासूम की जुबानी: आतंकियों ने सिर पर कैमरा बांधा था, पापा को कब गोली लगी, देख नहीं पाया

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए सूरत के शैलेश कलाथिया के मासूम बेटे ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा। मासूम ने हमले की पूरी कहानी बयां की है। बच्चे ने कहा कि आतंकियों ने तीन बार कलमा पढ़ने के लिए कहा। जो नहीं पढ़ सका, उसे मार दिया। 

Apr 24, 2025 - 14:13
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पहलगाम हमले की कहानी, मासूम की जुबानी: आतंकियों ने सिर पर कैमरा बांधा था, पापा को कब गोली लगी, देख नहीं पाया

सूरत (आरएनआई) पहलगाम में आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में माहौल गमगीन है। आतंकियों ने हमले में 26 लोगों की जान ले ली। आतंकी हमले का पूरा वाकया एक मृतक के मासूम बेटे ने बयां किया है। हमले में मारे गए सूरत के शैलेश कलाथिया के पांच साल के बेटे नक्ष कलाथिया ने आतंकियों की कायरना हरकत को अपनी आंखों से देखा। बच्चे ने बताया कि आतंकियों ने सिर पर कैमरा बांध रखा था। वे मेरे पापा को बोलने नहीं दे रहे थे। वे सबसे आगे थे, उनको कब गोली लगी मैं देख नहीं पाया। 

बच्चे ने बताया कि हम कश्मीर में पहलगाम गए थे। हमने वहां पर पांच प्वाइंट देखे थे। इसमें हम 'मिनी स्विटजरलैंड' जो सबसे टॉप पर था, हम वहां गए। हम वहां 10-15 मिनट ही रहे। हमें भूख लगी तो हम खाना खाने लगे। तभी हमें गोलियों की आवाज सुनाई दी, हमें लगा कि कुछ हुआ है। हमने जब रेस्टोरेंट वाले से पूछा तो उसे भी कुछ नहीं पता था। गोलियों की आवाज सुनकर पता लगा कि आतंकवादी इलाके में घुस आए हैं, हम छिप गए। लेकिन, उन्होंने हमें ढूंढ लिया। हमने दो आतंकवादियों को देखा। बच्चे ने बताया कि इनमें से एक आतंकी ने बोला कि मुसलमान अलग हो जाओ और हिंदू अलग हो जाओ। बाद में सारे हिंदू पुरुषों को गोली से मार दिया। 

बच्चे ने कहा कि आतंकियों ने तीन बार कलमा पढ़ने के लिए कहा। मुसलमान लोगों को यह आता था। जो लोग इसे नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई। जब आतंकी चले गए, तो स्थानीय लोग आए और कहा कि जो लोग बच गए हैं, उन्हें तुरंत नीचे उतरो। मैं घोड़े से आ रहा था तो मैं घोड़े से नीचे उतर गया। मेरी मां और दीदी पहाड़ से उतरे।हम नीचे पहुंचे तो बाद में आर्मी आ गई। करीब एक-आधा घंटे बाद आर्मी आई। वहां नीचे आर्मी बेस था, हम वहां रुके थे। शाम को हम होटल चले गए। 

नक्ष ने बताया कि आतंकी मेरे पिता को बिल्कुल भी बोलने नहीं दे रहे थे। अगर कोई बोलता तो वे गोली मार देते। उन्होंने मेरी माँ से कुछ नहीं कहा। बच्चे ने कहा कि वहां करीब 20-30 लोग थे, जो हिंदू थे। मैं सबसे पीछे था। सबसे आगे मेरे पापा, फिर मेरी मम्मी, फिर दीदी थी। जब पापा को गोली लगी तो मैं था ही नहीं। मुझे दिखा ही नहीं। बच्चे ने बताया कि आतंकवादियों में से एक गोरा था और उसकी दाढ़ी थी। उसने टोपी पहनी थी। उसने अपने सिर पर कैमरा बांधा हुआ था। वह व्हाइट टीशर्ट-ब्लैक जीन्स पहने था। हमें तो दो आतंकी दिखे। उन्होंने महिलाओं और बच्चों को छोड़ दिया। इसके अलावा सबको गोली मार दी। हम पुलिस हेडक्वार्टर में रहे। 

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