पवना बांध में डूबने की घटनाओं के बाद सुरक्षा बढ़ाने की मांग, बीते कुछ महीनों में मिले 27 शव

पुलिस अधिकारी ने बताया कि 'हम उन्हें पर्यटकों को जल निकायों में प्रवेश करने से रोकने के निर्देश देते हैं। हम कैंपिंग स्थलों और रिसॉर्ट्स को भी निर्देश देते हैं कि वे अपने मेहमानों को पानी के पास जाने से रोकें।

Jun 30, 2024 - 14:30
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पवना बांध में डूबने की घटनाओं के बाद सुरक्षा बढ़ाने की मांग, बीते कुछ महीनों में मिले 27 शव

मुंबई (आरएनआई) लोनावला में पवना बांध में डूबने की कई दुखद घटनाओं के बाद इस क्षेत्र में सुरक्षा उपाय बढ़ाने की मांग की गई है। हाल की घटनाओं में जून में 18 साल के अद्वैत वर्मा और जनवरी में 20 साल के मनीष शंकर शर्मा की मौत की घटनाएं शामिल हैं। पुलिस और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने पवना बांध के चेतावनी संकेतों की अनदेखी करने वाले पर्यटकों को लेकर चिंता व्यक्त की।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि डूबने की घटनाओं के बाद पवना बांध में पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने, धातु की बाड़ लगाने, अधिक लाइफगार्ड तैनात करने और खतरे वाले क्षेत्रों को स्पष्ट संकेतों से चिह्नित करने की मांग उठी है। मानसून के दौरान पर्यटकों के ज्यादा संख्या में आने को देखते हुए बांध के आसपास के 20 से अधिक गांवों के पुलिस पाटिलों के साथ बैठकें की गई है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि 'हम उन्हें पर्यटकों को जल निकायों में प्रवेश करने से रोकने के निर्देश देते हैं। हम कैंपिंग स्थलों और रिसॉर्ट्स को भी निर्देश देते हैं कि वे अपने मेहमानों को पानी के पास जाने से रोकें।

पुलिस पाटिल गांव स्तर के कर्मचारी होते हैं, जिन्हें संबंधित कलेक्टर द्वारा नियुक्त किया जाता है, ये लोग ग्रामीण क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस की मदद करते हैं। पुलिस का कहना है कि देखरेख करने वाले लोगों की कमी और विशाल बांध के चलते प्रभावी रूप से निगरानी रखना मुश्किल होता है। लोनावला ग्रामीण पुलिस के अनुसार, जनवरी 2024 से अब तक पवना बांध में चार लोग डूब चुके हैं। बचाव संगठन वन्यजीव रक्षक मावल (वीआरएम) ने इस साल मार्च से मई के बीच मावल तहसील में विभिन्न जल निकायों से 27 शव बरामद करने की सूचना दी है। वीआरएम जैसे संगठन शवों को निकालने और संकट कॉल का जवाब देने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं, सावधानी और सुरक्षा दिशानिर्देशों के पालन के महत्व पर जोर देते हैं।

वीआरएम के संस्थापक अध्यक्ष नीलेश गराडे ने कहा कि डूबने की ज़्यादातर घटनाएं इसलिए होती हैं क्योंकि पीड़ित पानी की गहराई का आकलन करने में विफल रहते हैं। गराडे ने बताया, 'बांध में तैरना सख्त वर्जित है और बांध की परिधि के चारों ओर चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं। इसके बावजूद, कई पर्यटक इन चेतावनियों को अनदेखा करते हैं और पानी में प्रवेश करते हैं।' गराडे ने कहा कि 'भले ही हम तैरना जानते हों, लेकिन बांध क्षेत्र में अज्ञात पानी में प्रवेश करते समय हम अत्यधिक सावधानी बरतते हैं। कुछ स्थानों पर गहरी खाईयाँ हैं जो तैरते समय दिखाई नहीं देती हैं। जबकि पर्यटकों को सावधान रहना चाहिए, अधिकारियों को डूबने से बचाने और जान बचाने के लिए अधिक सुरक्षा तंत्र लागू करने चाहिए।

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