'पर्यावरण के लिए पेड़ जरूरी', सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पेड़ों की गणना के दिए आदेश; कटाई पर की टिप्पणी
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली में वृक्ष गणना की जाएगी और 50 या इससे अधिक वृक्षों को काटने के किसी भी अनुरोध को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति मंजूरी देगी। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि, पर्यावरण के लिए पेड़ महत्वपूर्ण है।
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नई दिल्ली (आरएनआई) उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली में वृक्ष गणना की जाएगी और 50 या इससे अधिक वृक्षों को काटने के किसी भी अनुरोध को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति मंजूरी देगी। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली वृक्ष प्राधिकरण से कहा कि वह जनगणना के लिए वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) और विशेषज्ञों की सहायता ले।
मामले में पीठ ने कहा, 'पेड़ हमारे पर्यावरण का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। एहतियाती सिद्धांत के तहत सरकार को पर्यावरण क्षरण के कारणों का पूर्वानुमान लगाना, उन्हें रोकना और उनका उन्मूलन करना चाहिए, जिसमें उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना भी शामिल है।' सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में कहा गया है कि वृक्ष अधिकारी की तरफ से 50 या उससे अधिक पेड़ों को गिराने की अनुमति दिए जाने के बाद, सीईसी की तरफ से मंजूरी दिए जाने तक उस पर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
वृक्षों की गणना तीन विशेषज्ञों - सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी ईश्वर सिंह और सुनील लिमये के अलावा वृक्ष विशेषज्ञ प्रदीप सिंह की सहायता से की जाएगी। पीठ ने सीईसी को निर्देश दिया कि वह पेड़ों की कटाई के दस्तावेजों पर विचार करे और यह तय करे कि अनुमति दी जाए या इसमें कोई संशोधन आवश्यक है।
पीठ ने कहा, 'दस्तावेज प्राप्त होने पर, सीईसी के लिए वृक्ष अधिकारी को अतिरिक्त दस्तावेज प्राप्त करने के लिए बुलाना खुला होगा। सीईसी आवेदन और अन्य सभी पहलुओं पर विचार करेगा और तय करेगा कि अनुमति दी जानी चाहिए या कुछ नियमों और शर्तों के साथ दी जानी चाहिए। हम यह स्पष्ट करते हैं कि 50 या अधिक पेड़ों को गिराने की अनुमति देते समय, जब तक कि कोई अपवाद न हो, पेड़ लगाने की शर्त लगाई जानी चाहिए अन्यथा कटाई की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।'
18 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने कहा कि पेड़ों पर कानून उन्हें बचाने के लिए हैं, न कि उन्हें काटने के लिए और जनगणना और उन्हें बचाने के लिए कदम उठाने के बारे में आदेश पारित करने का संकेत दिया। यह मुद्दा 1985 में दायर पर्यावरणविद् एमसी मेहता की जनहित याचिका से उठा है। पीठ ने हाल ही में हरित आवरण को बढ़ाने के लिए कदम उठाने में प्रगति की कमी के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि वह इसे बढ़ाने के उपाय सुझाने के लिए एक बाहरी एजेंसी नियुक्त करेगी।
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