पत्नी ने अपने खर्चे पर बनाई कारगिल शहीद की मूर्ति, स्कूल में लगाने की नहीं मिली अनुमति
कारगिल दिवस का मौका है और मंडी के बल्ह क्षेत्र से 10 जून 1999 को कारगिल में शहीद की मूर्ति को स्कूल में स्थापित करने की अनुमति तक नहीं मिली है।
नेरचौक (आरएनआई) शहीदों को सम्मान देने के सरकारी और प्रशासनिक दावों की पोल खुल रही है। कारगिल दिवस का मौका है और मंडी के बल्ह क्षेत्र से 10 जून 1999 को कारगिल में शहीद की मूर्ति को स्कूल में स्थापित करने की अनुमति तक नहीं मिली है।
शहीद सिपाही तेग सिंह मस्ताना कारगिल युद्ध के दौरान नदी पार करते समय दुश्मन की गोली से 32 साल की उम्र में शहीद हुए थे। कई सालों के बाद शहीद की मूर्ति 5 जुलाई 2021 को प्रशासन ने स्याहं में स्थापित की है, मगर परिजन और शहीद की पत्नी ने इसका विरोध किया।
इसे किसी दूसरे की मूर्ति कहकर इसे लगाने से इनकार कर दिया। शहीद की पत्नी बीना देवी ने कहा कि उन्होंने अपने खर्चे से करीब दो लाख रुपये की मूर्ति बनाकर प्रशासन से इसे स्थानीय टांवा स्कूल में लगाने की बार-बार गुहार लगाई लगाई मगर सरकारी तंत्र ने उनकी मांग को नहीं माना। आज उनके शहीद पति की मूर्ति उनके घर पर ही रखी हुई है।
बीना ने बताया कि अब उनकी उम्र 54 वर्ष है। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। आज तक किसी को भी नौकरी नहीं मिली है। सबसे बड़ी बेटी कुसुम लता 32 ने जीएनएम किया है, दूसरी बेटी कमलेश कुमारी 30 ने बीएससी नर्सिंग की है, तीसरी बेटी नेहा कुमारी 28 ने बी फार्मेसी की है तथा और बेटे विपिन 26 ने आईटीआई मेकेनिकल की है।
हमारे पास लिखित में कोई मांग नहीं आई है। मूर्ति स्थापित करने के लिए कई औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है। अगर मांगपत्र आता है तो इस पर कार्रवाई की जाएगी।
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