पड़ोसी देश के बिगड़ते हालात के बीच प. बंगाल पुलिस का लोगों से अनुरोध
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी आश्वासन दिया कि बांग्लादेश-पश्चिम बंगाल की सीमाएं सुरक्षित हैं और घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
कोलकाता (आरएनआई) बांग्लादेश में महीनों से सुलग रही आरक्षण और सरकार विरोधी चिंगारी भीषण आग के रूप में फूटी। 300 लोगों की मौत के बाद देशभर से प्रदर्शनकारियों ने राजधानी ढाका तक चीनी कम्युनिस्ट क्रांति के अंदाज में लॉन्ग मार्च का एलान किया और सेना भी उग्र भीड़ को संभाल नहीं पाई। नतीजा यह रहा कि करीब डेढ़ दशक से बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज शेख हसीना को जान बचाकर देश से भागना पड़ा। साथ ही अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा। इन सबके बीच, पश्चिम बंगाल की पुलिस ने लोगों से भड़काऊ वीडियो साझा करने से बचने का आग्रह किया है।
बंगाल पुलिस ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, 'पड़ोसी बांग्लादेश में मौजूदा हालात को देखते हुए हमने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट और वीडियो देखे हैं, जो कलह और अशांति पैदा कर सकते हैं। कृपया अफवाहों पर ध्यान न दें, भड़काऊ वीडियो साझा न करें, फर्जी खबरों के जाल में न फंसें।
सोमवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने आश्वासन दिया कि बांग्लादेश-पश्चिम बंगाल की सीमाएं सुरक्षित हैं और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। अफवाह फैलाने वालों से सावधान रहें। उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश से भारत में अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए केंद्र प्रभावी उपाय करेगा।
बढ़ते प्रदर्शनों के मद्देनजर इस्तीफा सौंपने के बाद सोमवार शाम भारत पहुंची शेख हसीना ने गाजियाबाद में हिंडन एयर बेस पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की।
भारतीय वायु सेना ने वर्तमान घटनाक्रम के मद्देनजर अपने कर्मियों को अलर्ट पर रखा है। उन्होंने बताया कि डोभाल और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने हिंडन एयरबेस पर शेख हसीना से मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायु सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियां उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रही हैं और उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है।
रविवार को ढाका में झड़पों में कम से कम 14 पुलिस अधिकारियों सहित कम से कम 95 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए।
1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाने की लड़ाई में शामिल क्रांतिकारियों के परिवारों को सरकारी नौकरियों में दिए जा रहे आरक्षण को खत्म करने की मांग के साथ पिछले महीने शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर पहले ही अंतरिम रोक लगा दी थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि प्रदर्शनकारी आखिर फिर से इतने हिंसक होकर सड़कों पर क्यों उतर आए। असल में हिंसा की यह नई लहर तब शुरू हुई जब प्रदर्शनकारियों ने असहयोग का आह्वान किया, जिसमें लोगों से कर या बिजली बिल का भुगतान न करने और रविवार को काम पर न आने का आग्रह किया गया। सोमवार को जब कार्यालय, बैंक और कारखाने खुले, तो प्रदर्शनकारियों ने लोगों को काम पर जाने से रोकना शुरू कर दिया, इस बीच सेना ने प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए गोलियां चलानी शुरू कर दी। प्रदर्शनकारियों ने एक दिन पहले लगाए गए कर्फ्यू की परवाह किए बिना ढाका में प्रधानमंत्री आवास पर धावा बोल दिया। इसके अलावा, प्रदर्शनकारियों ने ढाका के शाहबाग इलाके में स्थित एक प्रमुख सार्वजनिक अस्पताल बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी पर हमला किया। प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालयों व वाहनों में भी आग लगा दी।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?