नोएडा से दिल्ली कूच करने वाले किसानों की क्या हैं मांगें, सात दिनों में बनेगी बात?
प्राधिकरण और पुलिस-प्रशासन के साथ लंबी बातचीत के बाद किसानों ने सात दिन तक दिल्ली कूच नहीं करने का फैसला किया। इस दौरान, किसान दलित प्रेरणा स्थल पर ही धरना देंगे। उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो फिर वे दिल्ली कूच करेंगे।
नई दिल्ली/नोएडा (आरएनआई) बढ़े मुआवजे समेत अन्य मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे किसानों के आंदोलन से नोएडा-दिल्ली सीमा पर कई घंटे भीषण जाम रहा। राजधानी दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में भी जाम से नागरिक परेशान हुए। नोएडा-ग्रेटर नोएडा के गांवों से ट्रैक्टर ट्रॉली समेत अन्य वाहनों से हजारों की संख्या में दलित प्रेरणा स्थल पर पहुंचे आंदोलनकारी किसानों की वजह से यातायात व्यवस्था चरमरा गई। महामाया फ्लाईओवर के पास नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे साढ़े तीन घंटे बंद रहा, जिससे कई किलोमीटर वाहनों की कतार लग गई।
पुलिस की घेराबंदी व बैरिकेडिंग पार कर आगे बढ़ते किसानों को रोका, तो वे सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। प्राधिकरण और पुलिस-प्रशासन के साथ लंबी बातचीत के बाद किसानों ने सात दिन तक दिल्ली कूच नहीं करने का फैसला किया। इस दौरान, किसान दलित प्रेरणा स्थल पर ही धरना देंगे। उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो फिर वे दिल्ली कूच करेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले नोएडा-ग्रेनो और यमुना प्राधिकरण के तहत आने वाले किसान दिल्ली कूच के लिए दोपहर 12 बजे महामाया फ्लाईओवर के पास जुटे। पुलिस ने रोकने की कोशिश की, तो किसान बैरिकेडिंग गिराते हुए आगे बढ़ गए। पुलिस और प्राधिकरण के अधिकारियों ने बमुश्किल उन्हें मनाया। भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने बताया कि अधिकारी सरकार की तरफ से सात दिन में सचिव स्तर की वार्ता का प्रस्ताव लाए थे। किसानों ने साफ कहा, मांगें पूरी होने तक वे वापस नहीं लौटेंगे। किसानों ने सड़क को खाली कर दी, पर दलित प्रेरणा स्थल के अंदर बैठ गए। वे सात दिन तक वहीं डेरा डाले रहेंगे।
महामाया फ्लाईओवर पर ट्रैफिक रोकने से डीएनडी, चिल्ला बॉर्डर, नोएडा-ग्रेनो और कालिंदीकुंज से आने वाले वाहनों के रास्ते बंद हो गए। एक्सप्रेसवे पर वाहनों का दबाव बढ़ गया और करीब चार किमी लंबी कतार लग गई।
ट्रैफिक को शहर की तरफ मोड़ा गया, तो सेक्टर-38 से लेकर सेक्टर-1 न्यू अशोक नगर सीमा तक जाम के हालात बन गए। इसी तरह, डीएनडी से लेकर पर्थला व अन्य रास्तों पर जाम की स्थिति रही। शाम 4 बजे किसान सड़क से हटे तो ट्रैफिक सामान्य हो पाया।
नोएडा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त शिवहरि मीणा ने बताया कि किसानों को रोकने के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। विभिन्न स्थानों पर चेकिंग के लिए 5,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। 1,000 से अधिक पीएससीकर्मी भी तैनात है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने और यातायात प्रबंधन के लिए वाटर कैनन, टीजीएस दस्ते, अग्निशमन दस्ते को भी तैनात किया गया है।
दिल्ली पुलिस ने किसानों के दिल्ली में आने से रोकने के लिए यूपी को दिल्ली से जोड़ने वाले मार्गों डीएनडी, कालिंदी कुंज, चिल्ला बॉर्डर व एनएच-24 पर बैरिकेड लगाकर करीब-करीब बंद कर दिए थे। सीमा पर पुलिस और आरएएफ की तैनाती थी। पूर्वी दिल्ली पुलिस उपायुक्त अपूर्व गुप्ता ने बताया कि संसद सत्र के कारण किसानों को विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है। हम सुनिश्चित करेंगे कि कोई कानून-व्यवस्था की स्थिति को खराब न कर पाए। दिल्ली पुलिस का नोएडा पुलिस के साथ समन्वय है। दिल्ली-यूपी के सभी बड़े-छोटे स्थानों पर पुलिस बल तैनात है।
किसानों की मांगें नोएडा-ग्रेनो और यमुना प्राधिकरण से जुड़ी हैं। किसान 10 प्रतिशत आबादी भूखंड, 64.7 फीसदी अधिक मुआवजा और 2013 के नए भूमि अधिग्रहण कानून के सभी लाभ दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
किसान अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर पर रोक, भूमिधर, भूमिहीन किसानों के सभी बच्चों को रोजगार और पुनर्वास के लाभ दिए जाने और उनकी आबादी का निस्तारण करने की मांग भी कर रहे हैं। उनका कहना है, केंद्र या राज्य सरकार से उनका कोई टकराव नहीं है।
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