'नेहरूफोबिया से ग्रसित लोग ऑस्ट्रिया के उदय में नेहरू की भूमिका को याद करें', कांग्रेस का PM पर हमला
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ऑस्ट्रियाई शिक्षाविद डॉ. हंस कोचलर ने द्वितीय विश्व युद्ध में विजयी शक्तियों के एक दशक के कब्जे के बाद एक संप्रभु और तटस्थ ऑस्ट्रिया के उदय में जवाहरलाल नेहरू द्वारा निभाई गई प्रमुख भूमिका के बारे में लिखा है।
नई दिल्ली (आरएनआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ऑस्ट्रिया पहुंचने वाले हैं। यह 41 वर्षों में किसी भारतीय पीएम की ऑस्ट्रिया की पहली यात्रा होगी। ऐसे में कांग्रेस एक बार फिर सत्ताधारियों पर जमकर हमलावर हुई। उसने कांग्रेस ने मंगलवार को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 1950 के दशक की शुरुआत में संप्रभु और तटस्थ ऑस्ट्रिया के उदय में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया। साथ ही कहा कि पीएम मोदी जैसे 'नेहरूफोबिया से ग्रस्त' लोगों को भी इसे याद करना चाहिए।
पीएम के ऑस्ट्रिया जाने से पहले कांग्रेस महासचिव एवं संचार मामलों के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, 'ऑस्ट्रिया गणराज्य की पूर्ण स्थापना 26 अक्तूबर, 1955 में हुई थी। हर साल 26 अक्तूबर को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे हकीकत में बदलने के लिए एक व्यक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वो शख्स कोई और नहीं बल्कि वहीं हैं, जिनसे मोदी नफरत करते हैं और उन्हें नीचा दिखाना पसंद करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि ऑस्ट्रियाई शिक्षाविद डॉ. हंस कोचलर ने द्वितीय विश्व युद्ध में विजयी शक्तियों के एक दशक के कब्जे के बाद एक संप्रभु और तटस्थ ऑस्ट्रिया के उदय में जवाहरलाल नेहरू द्वारा निभाई गई प्रमुख भूमिका के बारे में लिखा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि नेहरू के सबसे बड़े प्रशंसकों में से एक महान ब्रूनो क्रेस्की थे, जो 1970-83 के दौरान ऑस्ट्रिया के चांसलर थे।
जयराम रमेश ने कहा, '1989 में डॉ. क्रेस्की ने नेहरू को याद करते हुए कहा था- 'जब इस सदी का और उन लोगों का इतिहास लिखा जाएगा, जिन्होंने इस पर अपनी मुहर लगाई है, उनमें से एक सबसे महान और बेहतरीन अध्याय में पंडित जवाहरलाल नेहरू की कहानी होगी। यह भारत के सबसे आधुनिक इतिहास का हिस्सा होगा। बहुत पहले नेहरू मेरे प्रशिक्षकों में से एक बन गए थे।'
कांग्रेस नेता ने राजनयिक इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए कोचलर के पूर्वव्यापी प्रभाव को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि जो लोग नेहरूफोबिया से ग्रसित हैं, जैसे हमारे पीएम और विशेष रूप से 2019 के बाद से हमारे विद्वान और तेज तर्रार विदेश मंत्री, को भी इसे याद करना अच्छा होगा।
भारत और ऑस्ट्रिया के बीच राजनयिक संबंध के 75 साल पूरे हो रहे हैं। मोदी के दौरे से पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में ऑस्ट्रिया का दौरा किया था। इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में दूसरी बार 1983 में ऑस्ट्रिया का दौरा किया था। उनसे पहले देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी 1955 में ऑस्ट्रिया का दौरा किया था। ऐसे में ऑस्ट्रिया का दौरा करने वाले नरेंद्र मोदी तीसरे प्रधानमंत्री होंगे। हालांकि, ऐसा नहीं है कि चार दशक में ऑस्ट्रिया का भारतीय नेता की तरफ से कोई दौरान नहीं हुआ। इस बीच 1999 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण और 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया था।
ऑस्ट्रिया ने 1947 में भारत की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी। भारत और ऑस्ट्रिया के बीच 1949 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। दोनों देशों का एक दूसरे के यहां दूतावास भी है। भारत और ऑस्ट्रिया के राजनयिक संबंध एक दूसरे के साथ बेहतर हैं। पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्ते बेहतर हुए हैं। ऑस्ट्रिया भारत को मशीनरी, ऑटोमोटिव पार्ट्स और केमिकल एक्सपोर्ट करता है। वहीं, भारत को इलेक्ट्रोनिक्स सामान, फुटवेयर, रबड़ का सामान, वीकल और रेलवे पार्ट्स, कपड़ा और फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात करता है। दोनों ही देश क्लाइमेट चेंज के साथ ही सतत विकास पर एक दूसरे के साथ खड़े नजर आते हैं।
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