नेतन्याहू का एलान- अपने लोगों को वापस इस्राइल लाएंगे; हमास और हिजबुल्ला के खिलाफ जंग को तेज करेंगे
पिछले साल सात अक्तूबर को दक्षिणी इस्राइल में हुए आतंकवादी हमले में 1,205 लोग मारे गए थे और लगभग ढाई सौ लोगों को बंधक बनाया गया था। इसके बाद इस्राइल ने जवाबी कार्रवाई की, जो अभी भी जारी है।
यरुशलम (आरएनआई) इस्राइल और हमास जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। वहीं, हिजबुल्ला के साथ भी तनाव बना हुआ है। ऐसे में इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अब एलान किया है कि वह युद्ध लक्ष्यों का विस्तार करेंगे। इसमें उत्तरी क्षेत्र के उन निवासियों की वापसी भी शामिल है, जो हमास के सहयोगी हिजबुल्ला द्वारा सीमा पार से की गई गोलीबारी के कारण जान बचाकर भागे थे।
पीएम कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया, 'राजनीतिक-सुरक्षा कैबिनेट ने आज शाम युद्ध के लक्ष्यों का विस्तार किया है ताकि कई चीजों को शामिल किया जा सके, जैसे उत्तर के निवासियों को उनके घरों में सुरक्षित वापस लाना।'
सात अक्तूबर को दक्षिणी इस्राइल में हुए आतंकवादी हमले में 1,205 लोग मारे गए थे और लगभग ढाई सौ लोगों को बंधक बनाया गया था। इनमें से अभी 97 गाजा में ही है, जबकि 33 बंधकों की मौत हो चुकी है। हमास के जिस समूह ने इस्राइल पर हमला किया था, उसका नेतृत्व याह्या सिनवर ने ही किया था। इसके बाद इस्राइल ने जवाबी कार्रवाई की, जो अभी भी जारी है।
हमास द्वारा संचालित क्षेत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, गाजा में इस्राइल के जवाबी हमले में अब तक कम से कम 40,972 लोग मारे गए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।
इन हमलों के बाद से ही, इस्राइल और ईरान समर्थित लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्ला के बीच में भी तनाव बढ़ गया। आए दिन हमलों का आदान-प्रदान हो रहा है। हिजबुल्ला का कहना है कि अभियान उसके फलस्तीनी सहयोगी के समर्थन में है।
हिजबुल्ला के लड़ाकों का कहना है कि अगर गाजा में युद्ध विराम हो जाता है तो वह पीछे हट जाएंगे। जबकि इस्राइल इस बात पर जोर देता है कि वह लेबनान के दक्षिण में सीमा क्षेत्र में आतंकवादियों को रहने की अनुमति नहीं दे सकता। हमलों ने दोनों पक्षों के हजारों लोगों को अपने घरों से भागने पर मजबूर कर दिया है।
इस्राइली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने सोमवार को एक अमेरिकी राजदूत से कहा कि सैन्य कार्रवाई ही उत्तर के लोगों को उनके घरों में वापसी सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका था।
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