नीतीश कुमार की सरकार के लिए संकटमोचक बने गृह मंत्री शाह
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब सहयोगी- राजद और कांग्रेस को छोड़, एक बार फिर भाजपा का दामन थामा, वहां की सियासत में बड़े बदलाव और उथल-पुथल की अटकलों का बाजार गर्म होने लगा। तमाम कयासों पर विराम लग गया जब विधानसभा में हुए शक्तिपरीक्षण में नीतीश पास हो गए। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री शाह और नित्यानंद राय की भूमिका अहम रही।
नई दिल्ली (आरएनआई) बिहार की राजनीति में पिछले कुछ हफ्ते काफी रोमांचक रहे हैं। एक बार फिर बिहार में करीब दो दशकों 2004 से का सरकार के बदले विपक्ष में बदलाव का रिवाज कायम रहा। नीतीश सरकार हालांकि बच गई, मगर रविवार देर रात हम के मुखिया जीतन राम मांझी और भाजपा-जदयू के आठ विधायकों ने दोनों दलों के नेतृत्व की सांसें फुला दी थीं। सरकार बचाने के लिए संख्या बल जुटाने के साथ राजद को झटका देने की व्यूहरचना रविवार देर रात से ले कर सोमवार सुबह तक जारी रही।
ऑपरेशन लालटेन को विफल करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने पहले कर्नाटक फिर दिल्ली से मोर्चा संभाला। जबकि पटना में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और नीतीश कुमार देर रात तक बागियों को मनाने में जुटे रहे। इस बीच जब मांझी से संपर्क टूटा तो राय देर रात और सोमवार सुबह दो बार उनके निवास पर पहुंचे। रविवार को देर रात ही राजद विधायकों नीलम देवी, चेतन आनंद और प्रहलाद यादव को भी साधने में सफलता मिल गई।
राजद का सारा दारोमदार निवर्तमान स्पीकर अवध बिहार चौधरी पर था। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होते ही बाजी पलट गई। रविवार शाम तक राजग के आठ विधायक महागठबंधन के संपर्क में थे। राजद की कोशिश इनके जरिये ही खेल करने की थी। हालांकि इनमें से तीन मनोज यादव, सुदर्शन और डॉ संजीव सुबह पार्टी के संपर्क में आ गए और इसी बीच राजग ने राजद के तीन विधायकों को तोड़ने में सफलता हासिल कर ली।
राजद से बगावत करने वाली नीलम देवी जेल में बंद बाहुबली अनंत कुमार की पत्नी हैं, जबकि चेतन आनंद बाहुबली आनंद मोहन के बेटे हैं। चर्चा है कि जदयू ने चेतन को लोकसभा चुनाव में उनकी मां लवली आनंद को उम्मीदवार बनाने का भरोसा दिया है। समर्थन के बदले सरकार का अनंत कुमार के प्रति रुख नरम हो सकता है।
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