नीतीश कटारा हत्याकांड में यूपी और दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- नरमी का गलत फायदा न उठाएं
नीतीश कटारा हत्या मामले में 25 वर्ष की जेल की सजा काट रहे विकास यादव ने अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत मांगी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया था। 10 दिन बाद भी बोर्ड का गठन न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव की मां के इलाज के लिए मेडिकल बोर्ड गठन में देरी करने पर उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में अफसरों को कहा कि हमारी नरमी का गलत फायदा प उठाएं। राज्य को ऐसे मामलों में निष्पक्ष होना चाहिए।
वर्ष 2002 के नीतीश कटारा हत्या मामले में 25 वर्ष की जेल की सजा काट रहे विकास यादव ने अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत मांगी है। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने हैरानी जताई कि दो अप्रैल के आदेश के बावजूद गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती उनकी मां की स्थिति की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने में 10 दिन लग गए। अदालत ने कहा कि जब मेडिकल बोर्ड आया, तब तक यादव की मां को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
विकास यादव के वकील ने दलील दी कि उनकी मां को सोमवार को फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस पर पीठ ने कहा कि मेडिकल बोर्ड गठित करने में 10 दिन लगा दिए। इसके लिए स्पष्टीकरण की जरूरत है। आदेश में हमारी नरम भाषा का गलत फायदा न उठाया जाए। राज्य के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ कुछ हो सकता है, लेकिन राज्य को निष्पक्ष होना चाहिए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि एम्स के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा एक नया मेडिकल बोर्ड गठित किया जाए और तुरंत मूल्यांकन कर रिपोर्ट पेश की जाए।
विकास यादव के वकील ने उनकी मां की मेडिकल रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि फरवरी में उनकी हालत खराब हो गई थी। यादव की मां आईसीयू में हैं और उन्होंने सर्जरी से इनकार कर दिया है। अंतरिम जमानत याचिका में यादव ने कहा कि उनकी मां उमेश यादव गंभीर रूप से बीमार हैं और आईसीयू में भर्ती हैं। डॉक्टरों ने उनकी चिकित्सा स्थिति को देखते हुए तत्काल सर्जरी की सलाह दी थी। याचिका में कहा गया है कि मां की गंभीर स्थिति के कारण उनकी सहायता और उपस्थिति आवश्यक है।
17 फरवरी 2002 को नीतीश कटारा की हत्या कर दी गई थी। नीतीश कटारा का विकास यादव की बहन भारती यादव के साथ प्रेम संबंध था। यह प्रेम संबंध यादव परिवार को मंजूर नहीं था, जिसके चलते उसकी हत्या की गई थी। मामले में तीन अक्तूबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव और विशाल यादव को 25-25 साल की सजा सुनाई थी। विकास यादव यूपी के बाहुबली नेता डीपी यादव का बेटा है। विकास यादव और विशाल यादव चचेरे भाई हैं। इस मामले में एक अन्य दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 वर्ष की जेल की सजा दी गई।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने विकास यादव और विशाल यादव को 25 साल और पांच साल की दो सजा यानि 30 साल कैद की सजा दी थी, जबकि सुखदेव पहलवान को 20 और पांच साल यानि 25 साल की कैद की सजा दी थी।
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