'नीतियों का विरोध करना और संसद में बाधा डालना अलग-अलग बातें', संयुक्त बैठक में बोलीं राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने कहा, 'आप सभी जानते हैं कि वर्तमान समय भारत के लिए हर तरह से अनुकूल है। आने वाले वर्षों में सरकार और भारत की संसद द्वारा लिए गए निर्णयों और बनाई गई नीतियों पर पूरी दुनिया की नजरें रहेंगी। यह सुनिश्चित करना सरकार के साथ-साथ प्रत्येक सांसद की जिम्मेदारी है कि इस अनुकूल समय का देश को अधिकतम लाभ मिले।
नई दिल्ली (आरएनआई) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को 18वीं लोकसभा की पहली संयुक्त बैठक को संबोधित किया। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि नीतियों का विरोध करना और संसद में बाधा डालना दो अलग-अलग बातें हैं। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति ने संसद में होने वाले हंगामे और कम कामकाज पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना देश के प्रत्येक नागरिक की आकांक्षा और संकल्प है और इन आकांक्षाओं को पूरा करने में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 'नीतियों का विरोध करना और संसदीय कामकाज में बाधा डालना दो अलग-अलग बातें हैं। जब संसद का कामकाज सुचारू रूप से चलता है, तो वहां स्वस्थ विचार-विमर्श होता है और दूरगामी फैसले लिए जाते हैं, जो लोगों का न सिर्फ सरकार में बल्कि पूरी व्यवस्था में विश्वास बढ़ता है। इसलिए मुझे विश्वास है कि संसद के प्रत्येक क्षण का पूरा उपयोग किया जाएगा और जनहित को प्राथमिकता दी जाएगी।'
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, 'हम सभी की जिम्मेदारी है कि विकसित राष्ट्र के संकल्प को प्राप्त करने में कोई बाधा न आए।' उन्होंने कहा कि 18वीं लोकसभा में कई नए सदस्य पहली बार संसदीय प्रणाली का हिस्सा बने हैं और पुराने सदस्य भी नए उत्साह के साथ वापस आए हैं। राष्ट्रपति ने कहा, 'आप सभी जानते हैं कि वर्तमान समय भारत के लिए हर तरह से अनुकूल है। आने वाले वर्षों में सरकार और भारत की संसद द्वारा लिए गए निर्णयों और बनाई गई नीतियों पर पूरी दुनिया की नजरें रहेंगी। यह सुनिश्चित करना सरकार के साथ-साथ प्रत्येक सांसद की जिम्मेदारी है कि इस अनुकूल समय का देश को अधिकतम लाभ मिले। पिछले 10 वर्षों में हुए सुधारों और देश में आए नए आत्मविश्वास के साथ, हमने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक नई गति प्राप्त की है।'
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने आपातकाल पर भी करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 'देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर कई हमले हुए हैं। 25 जून 1975 को लागू किया गया आपातकाल संविधान पर सीधा हमला था। जब इसे लगाया गया तो पूरे देश में हाहाकार मचा, लेकिन देश ने ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त की। मेरी सरकार भी भारतीय संविधान को सिर्फ शासन का माध्यम नहीं बना सकती। हम अपने संविधान को जनचेतना का हिस्सा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी वजह से मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। हमारे जम्मू-कश्मीर में संविधान पूरी तरह लागू किया गया, जहां अनुच्छेद 370 के कारण पहले स्थिति अलग थी।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?