नीतियों और निर्णयों की वजह से भारतीय विश्वविद्यालयों की वैश्विक पहचान बढ़ रही है: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि शिक्षा की भविष्योन्मुखी नीतियों और निर्णयों का परिणाम है कि आज भारतीय विश्वविद्यालयों की वैश्विक पहचान बढ़ रही है। उन्होंने हाल के वर्षों में आईआईटी, आईआईएम, एम्स की संख्या में हुई वृद्धि का हवाला दिया और कहा कि यह सभी संस्थान नये भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
नयी दिल्ली, 30 जून 2023, (आरएनआई)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि शिक्षा की भविष्योन्मुखी नीतियों और निर्णयों का परिणाम है कि आज भारतीय विश्वविद्यालयों की वैश्विक पहचान बढ़ रही है। उन्होंने हाल के वर्षों में आईआईटी, आईआईएम, एम्स की संख्या में हुई वृद्धि का हवाला दिया और कहा कि यह सभी संस्थान नये भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया कि छात्र सीखना क्या चाहते हैं जबकि पहले ध्यान इस बात पर दिया जाता था कि छात्रों को पढ़ाया क्या जाए।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने दिल्ली विश्वविद्यालय कंप्यूटर सेंटर, प्रौद्योगिकी संकाय भवन और अकादमिक ब्लॉक की आधारशिला भी रखी। ये भवन विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में बनाए जाएंगे।
अमेरिका की अपनी हालिया राजकीय यात्रा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की क्षमता में वृद्धि के साथ-साथ देश के युवाओं में दुनिया के विश्वास के कारण आज दुनिया में देश के सम्मान और प्रतिष्ठा में इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल (आईसीईटी) को लेकर हुए एक समझौते मात्र से देश के युवाओं के लिए जमीन से लेकर अंतरिक्ष और सेमीकंडक्टर से लेकर कृत्रिम मेधा (एआई) तक में नए अवसर पैदा होंगे।
मोदी ने कहा कि भारत के युवाओं की उन प्रौद्योगिकियों तक पहुंच होगी जो कभी उनकी पहुंच से बाहर हुआ करती थीं।
उन्होंने कहा कि माइक्रोन और गूगल जैसी कंपनियां देश में भारी निवेश करेंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह आहट है कि भविष्य का भारत कैसा होने वाला है , आपके लिए कैसे-कैसे अवसर दस्तक दे रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा सिर्फ सिखाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि सीखने की भी प्रक्रिया है और लंबे समय तक शिक्षा को लेकर ध्यान इस बात पर केंद्रित रहा कि छात्रों को क्या पढ़ाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमने फोकस इस बात पर भी शिफ्ट किया कि छात्र क्या सीखना चाहता है। आप सभी के सामूहिक प्रयासों से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार हुई है और छात्रों को यह बड़ी सुविधा मिली है कि वह अपनी इच्छा से अपनी पसंद के विषयों का चुनाव कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षण संस्थाओं की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘शिक्षा की भविष्योन्मुखी नीतियों और निर्णयों का परिणाम है कि आज भारतीय विश्वविद्यालयों की वैश्विक पहचान बढ़ रही है। साल 2014 में क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में केवल 12 भारतीय विश्वविद्यालय होते थे लेकिन आज यह संख्या 45 हो गई है।’’
जीवन के विभिन्न पहलुओं में दिल्ली विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल एक विश्वविद्यालय नहीं है, बल्कि एक आंदोलन है।
मोदी ने नालंदा और तक्षशिला में प्रसिद्ध प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालयों का उल्लेख किया और कहा कि वे खुशी और समृद्धि के स्रोत थे और भारत के विज्ञान ने उस युग में दुनिया का मार्गदर्शन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तब वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भारत की बड़ी हिस्सेदारी हुआ करती थी और सैकड़ों साल की गुलामी ने शिक्षा के केंद्रों को नष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि जब भारत की बौद्धिक यात्रा रुक गई तो उसका विकास भी रुक गया।
मोदी ने जोर देकर कहा कि जिनके पास ज्ञान है, वे खुश और मजबूत हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय स्टार्ट-अप की संख्या अब एक लाख को पार कर गई है, जबकि 2014 से पहले यह संख्या 100 के करीब थी।
पिछले कुछ वर्षों में हुए भारत के विकास का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पेटेंट के आंकड़े उल्लेखनीय रूप से बढ़े हैं।
मोदी ने कहा कि पिछली सदी के तीसरे दशक ने स्वतंत्रता आंदोलन को नई गति दी। उन्होंने विश्वास जताया कि इस सदी का तीसरा दशक देश की विकास यात्रा को गति देगा।
यह उल्लेख करते हुए कि विश्वविद्यालय का 125वां वर्ष देश की आजादी के 100वें वर्ष के साथ मेल खाता है, मोदी ने कहा कि इसे 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य के लिए खुद को समर्पित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब दिल्ली विश्वविद्यालय में मात्र तीन कॉलेज थे लेकिन अब इससे सम्बद्ध कॉलेजों की संख्या 90 से अधिक है।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब भारत का नाम कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल था, लेकिन आज भारत विश्व की पांच शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वद्यिालय में पुरूष विद्यार्थियों की तुलना में महिला विद्यार्थियों की संख्या अधिक है जो लैंगिंक अनुपात में महत्वपूर्ण सुधार का परिचायक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबी गुलामी के बाद देश आज़ाद हुआ और इस दौरान आज़ादी के भावनात्मक ज्वार को एक मूर्त रूप देने में भारत के विश्वविद्यालयों ने एक अहम भूमिका निभाई थी और दिल्ली विश्वविद्यालय भी इस आंदोलन का एक बड़ा केंद्र था।
इससे पहले, प्रधानमंत्री ने विश्वविद्यालय के अब तक के सफर पर आधारित एक प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए मेट्रो की सवारी की। उन्होंने लोक कल्याण मार्ग मेट्रो स्टेशन से दिल्ली विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन तक का सफर तय किया। इस दौरान प्रधानमंत्री को यात्रियों से संवाद करते देखा गया।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘दिल्ली मेट्रो से दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यक्रम के लिए जाते समय..। युवाओं को अपने सह-यात्री के रूप में पाकर खुश हूं..।’’
प्रधानमंत्री ने अपनी इस यात्रा से जुड़ी तस्वीरें भी ट्विटर पर साझा कीं।
अपने संबोधन में मोदी ने कहा, ‘‘आज मैं भी दिल्ली मेट्रो से अपने युवा दोस्तों के साथ गपशप करते हुए यहां पहुंचा हूं। इस बातचीत में कुछ किस्से भी पता चले और कुछ दिलचस्प जानकारियां भी मुझे मिलीं।’’
दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना एक मई 1922 को हुई थी। पिछले 100 वर्षों में विश्वविद्यालय का काफी विस्तार हुआ है और अब इसमें 90 कॉलेज और 86 विभाग हैं। अब तब छह लाख से अधिक विद्यार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर चुके हैं।
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