नीति आयोग के सल्फर कम करने वाले उपकरण पर रोक लगाने की सलाह पर भड़की कांग्रेस, बताया बेहद हास्यास्पद
नीति आयोग ने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में सल्फर कम करने वाले उपकरण लगाने पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। इस पर नीति आयोग की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
नई दिल्ली (आरएनआई) नीति आयोग के एक फैसले को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश आगबबूला हो गए हैं। उन्होंने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में सल्फर डाइऑक्साइड कम करने वाले उपकरण लगाने पर रोक लगाने की सलाह पर नीति आयोग पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिजली संयंत्रों से निकलने वाले सल्फर से वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि होती है। यह तर्क देना हास्यापद है कि इस तरह के उत्सर्जन से भारत में जन स्वास्थ्य को कोई चिंता नहीं है।
नीति आयोग ने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में सल्फर कम करने वाले उपकरण लगाने पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। नीति आयोग के मुताबिक, कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से निकलने वाले सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का उत्सर्जन वायु की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं करता। इसलिए, इन संयंत्रों में सल्फर कम करने वाले उपकरण लगाने की जरूरत नहीं है। इस कदम से बिजली उत्पादन लागत को मैनेज किया जा सकता है।
पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि भारत दुनिया में सल्फर डाइऑक्साइड का सबसे बड़ा उत्सर्जक है और बिजली संयंत्रों से होने वाला यह उत्सर्जन वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देता है। कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) ने कहा, 'पहले यह फैसला लिया गया था कि बिजली संयंत्रों में फ्लोराइड गैस डिसल्फराइजर लगाना अनिवार्य होगा। सबसे पहले 2017 की समयसीमा तय की गई थी। बाद में इसे बढ़ाकर 2026 कर दिया गया। अब ऐसा प्रतीत होता है कि सर्वज्ञ नीति आयोग इस समयसीमा को पूरी तरह खत्म करना चाहता है।
रमेश ने कहा, 'यह तर्क देना कि भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन कोई चिंता का विषय नहीं है, हास्यास्पद है। खासकर ऐसे समय में जब प्रदूषण के परिणाम भारत के शहरों में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं।
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